बिहार चुनाव: महुआंव टोला महेशपुर में ग्रामीणों का मतदान बहिष्कार
बिहार के औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के महुआंव टोला महेशपुर के ग्रामीणों ने सड़क और पुल की अनुपस्थिति के कारण आगामी चुनावों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। स्थानीय लोगों ने आपसी चर्चा के बाद एकजुट होकर यह महत्वपूर्ण फैसला लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर कितने गंभीर हैं।
महुआंव गांव से महेशपुर टोला तक पुनपुन नदी पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीणों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। न केवल यहाँ पुल का अभाव है, बल्कि नारायणपुर-महेशपुर और कनौखर-महेशपुर के बीच सड़कों की भी कमी है। इन समस्याओं के चलते ग्रामीणों ने वोटिंग में भाग नहीं लेने का ऐलान किया है, जिससे उनकी नाराजगी और भी अधिक स्पष्ट होती है।
ग्रामीणों की एकजुटता और नाराजगी
ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को उजागर करने के लिए “पुल और रोड नहीं तो वोट नहीं” के बैनर उठाकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके बुनियादी ढांचे के मुद्दे का समाधान नहीं किया जाएगा, तब तक वे मतदान नहीं करेंगे।
गांव में जाने के लिए ग्रामीणों के द्वारा पुनपुन नदी पर बनाया गया चचरी पुल
जनप्रतिनिधियों से निराशा
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पूर्व सांसद महाबली सिंह के समक्ष अपनी समस्याएं रखी थीं। उन्होंने आश्वासन दिया था कि पुल और सड़कों का निर्माण कराया जाएगा, लेकिन यह सिर्फ एक वादा बनकर रह गया। ग्रामीणों का आरोप है कि कोई भी जनप्रतिनिधि या स्थानीय अधिकारी इस मामले में कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है।
इस निराशा के चलते, ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी की। उनकी मांगें स्पष्ट हैं: जब तक उनकी बुनियादी जरूरतों का समाधान नहीं होता, तब तक वे मतदान नहीं करेंगे।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
ग्रामीणों ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि महुआंव टोला महेशपुर में केवल सड़कें ही नहीं, बल्कि अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। गांव में नाली, गली और स्कूल जैसी सुविधाएं नहीं हैं। बारिश के दिनों में पुनपुन नदी में बाढ़ आने पर चचरी पुल ध्वस्त हो जाता है, जिससे गांव पूरी तरह से अलग-थलग पड़ जाता है।
इस स्थिति का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि नदी में अधिक पानी आने के कारण बच्चे छह महीने तक स्कूल नहीं जा पाते हैं। जब जलस्तर कम होता है, तब वे चचरी पुल बनाते हैं, लेकिन यह अस्थायी समाधान है। ग्रामीणों का कहना है कि जब उनके बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, तो वे मतदान करने का कोई अर्थ नहीं देखते।
निष्कर्ष
महुआंव टोला महेशपुर के ग्रामीणों का यह निर्णय दर्शाता है कि वे अपनी समस्याओं के प्रति कितने सजग हैं। उनकी एकजुटता इस बात का प्रमाण है कि वे अपनी आवाज को उठाने में पीछे नहीं हटेंगे। अब यह देखना होगा कि क्या स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि उनकी आवाज सुनेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे या नहीं।
इस स्थिति में, चुनाव आयोग और सरकार को भी सक्रियता से इन मुद्दों को हल करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों की समस्याएं जल्द से जल्द सुलझ सकें और वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले सकें।
























