दशहरे का पर्व: रीवा में धूमधाम से मनाया गया उत्सव
देशभर की तरह मध्यप्रदेश में भी दशहरे का पर्व बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जगह-जगह बुराई और अहंकार का प्रतीक रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया गया। साथ ही, इस मौके पर शानदार आतिशबाजी का आयोजन भी किया गया, जिससे वातावरण पूरी तरह उत्सवमय हो गया। कई स्थानों पर रामलीला का मंचन किया गया, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया।
राज परिवार की परंपरागत झांकी और रावण दहन
रीवा में 50 फीट के रावण, 45 फीट के कुंभकर्ण और 45 फीट के मेघनाथ के पुतले का दहन रात 12 बजे किया गया। रावण दहन का दृश्य देखने के लिए स्थानीय लोग गुरुवार रात से ही इंतजार करते रहे। हर साल की तरह इस बार भी परंपरागत तरीके से किला परिसर से राज परिवार के लोग झांकी लेकर एनसीसी मैदान पहुंचे।
राज परिवार के सदस्यों ने रात 9 बजकर 45 मिनट पर भगवान की झांकी लेकर मैदान में प्रवेश किया। इसके बाद एक घंटे तक पूजन और अर्चन की प्रक्रिया चली। उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हुआ। जैसे ही रात का 12 बजे रावण का दहन किया गया, लोगों में खुशी और उत्साह का माहौल बन गया। सभी ने भगवान राम की विजय और अधर्म पर धर्म की विजय के नारे लगाते हुए जयघोष किया।
सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ का उत्साह
इस कार्यक्रम को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मैदान में पहुंचे। देर रात तक रावण दहन देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। इस दौरान, सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। मैदान के अंदर और बाहर 100 से अधिक पुलिस के जवान तैनात थे, जो कार्यक्रम की लगातार निगरानी कर रहे थे।
रीवा के गोविंदगढ़ के कलाकारों ने 20 दिन की मेहनत के बाद इन पुतलों को तैयार किया था। इन्हें बाद में रीवा लाया गया। हर साल की तरह इस बार भी रीवा में दशहरे का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, जिसमें रावण दहन के साथ-साथ पूजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन और रामलीला के प्रसंगों का भी आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रीवा महाराजा पुष्पराज सिंह, भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह, जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता और जिले भर से आए लोग उपस्थित रहे।
राजघराने का रथ और सांस्कृतिक कार्यक्रम
इस वर्ष दशहरे के अवसर पर रथ में सवार होकर राजघराने के लोग मैदान पहुंचे। किला में पूजा के बाद भगवान राम को रथ में विराजमान कर दशहरा मैदान लाया गया। इस मौके पर मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें आरती का कार्यक्रम भी शामिल था।
दशहरे के इस पर्व ने रीवा की संस्कृति और परंपराओं को एक बार फिर से जीवित कर दिया। इस उत्सव ने लोगों को एकजुट किया और सामाजिक एकता का संदेश दिया। रावण दहन के इस दृश्य ने न केवल धार्मिक मान्यता को दर्शाया बल्कि स्थानीय संस्कृति को भी प्रदर्शित किया।
निष्कर्ष
दशहरा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह धर्म और संस्कृति की विजय का प्रतीक है। रीवा में इस पर्व का आयोजन हर साल की तरह भव्यता के साथ हुआ, जो इस बात का प्रमाण है कि लोग अपनी परंपराओं को संजोए हुए हैं। रावण का दहन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पूजा अर्चना ने सभी को एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर दिया।