महात्मा गांधी की 156वीं जयंती पर छतरपुर में धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित
छतरपुर के छत्रसाल चौराहे पर स्थित गांधी आश्रम में महात्मा गांधी की 156वीं जयंती बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई गई। इस विशेष अवसर पर आयोजित समारोह में स्कूली बच्चे, स्थानीय नागरिक और गणमान्य व्यक्तियों की भीड़ ने हिस्सा लिया। सभी ने एकजुट होकर गांधी जी के विचारों को याद किया और उनके योगदान को सम्मानित किया।
गांधी आश्रम की संचालक दमयंती पाणी ने जानकारी देते हुए बताया कि 2 अक्टूबर का दिन केवल महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन नहीं है, बल्कि यह दशहरा पर्व भी है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। उन्होंने गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये मूल्य आज भी समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत और गतिविधियाँ
इस समारोह की शुरुआत सुबह एक प्रार्थना से हुई, जिसके बाद सद्भावना रैली का आयोजन किया गया। रैली का उद्देश्य गांधी जी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना और समाज में शांति, भाईचारा और प्रेम का संदेश फैलाना था। इसके पश्चात मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें न्यायाधीश, छतरपुर एसपी, स्कूल के छात्र और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
दमयंती पाणी ने अपने संबोधन में कहा, “सत्य और अहिंसा का मार्ग ही हमें जीवित रख सकता है और देश को आगे बढ़ा सकता है। गांधी जी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार बन चुके हैं, जिस पर ना केवल हमारा देश, बल्कि पूरी दुनिया चल रही है।” उनके इस वक्तव्य ने सभी उपस्थित लोगों को प्रेरित किया।
गांधी जी के आदर्शों का पालन करने की आवश्यकता
कार्यक्रम में उपस्थित न्यायाधीश राजेश दिवालिया ने कहा कि हमें गांधी जी की राह पर चलकर उनके आदर्शों का पालन करने की आवश्यकता है। उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि गांधी जी ने अपने जीवन में जो मूल्यों को अपनाया, वे आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक हैं।
वहीं, छतरपुर के एसपी अगम जैन ने अपने संबोधन में गांधी जी के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचारों का अनुसरण करना आज की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे गांधी जी के विचारों को अपने जीवन में उतारें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।
संकल्प और समापन
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने गांधी जी के विचारों को आत्मसात करने और समाज में शांति, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। इस संकल्प के साथ सभी ने यह भी कहा कि वे गांधी जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करेंगे।
इस प्रकार, छतरपुर में महात्मा गांधी की जयंती का यह आयोजन न केवल उनके विचारों को पुनर्जीवित करने का अवसर था, बल्कि यह सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बना। सभी ने मिलकर यह प्रण लिया कि वे गांधी जी के मार्ग पर चलकर एक बेहतर समाज की स्थापना करेंगे।