राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का नयना देवी मंदिर दौरा
अपडेटेड: मंगलवार, 04 नवंबर 2025, 10:06 AM (IST)
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में नैनीताल के प्रसिद्ध श्री मां नयना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति मुर्मू ने देश की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। उनके साथ राज्यपाल गुरमीत सिंह भी उपस्थित थे। मंदिर समिति ने राष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत किया, जिससे इस धार्मिक स्थल का महत्व और भी बढ़ गया।
मंदिर में पूजा का महत्व
नयना देवी मंदिर, जो कि एक प्रमुख शक्तिपीठ है, भक्तों के लिए आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। राष्ट्रपति मुर्मू ने यहां दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया, जो उनके और उनके अनुयायियों के लिए एक विशेष अनुभव था। इस मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था सदियों पुरानी है, और हर साल हजारों लोग यहां आते हैं।
इस पूजा के दौरान, राष्ट्रपति ने देवी मां से देशवासियों के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। उन्होंने इस अवसर पर मंदिर के प्रबंधन को भी धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसे धार्मिक स्थलों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है।
राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि धार्मिक स्थलों पर जाकर हम न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं, बल्कि यह हमें अपने देश की संस्कृति और परंपराओं से भी जुड़ने का एक अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने सभी से अपील की कि वे अपने जीवन में धार्मिकता और नैतिकता को महत्व दें। उनका यह संदेश निश्चित रूप से समाज में एक सकारात्मक प्रभाव डालने वाला है।
न्याय और समाज के प्रति राष्ट्रपति की प्रतिबद्धता
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उनके लिए यह यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एक हिस्सा है। उन्होंने समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उनके अनुसार, ‘जब हम अपने धार्मिक स्थलों पर जाते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि हम सभी एक समान हैं और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।’ यह संदेश निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है।
निष्कर्ष
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का नयना देवी मंदिर में किया गया यह दौरा न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस प्रकार की गतिविधियाँ हमें एकजुटता और भाईचारे का एहसास कराती हैं। ऐसे धार्मिक स्थलों की यात्रा से न केवल आस्था को बल मिलता है, बल्कि सामाजिक एकता की भावना भी मजबूत होती है।
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