देहरादून का सिनौला गांव बना खुशी का केंद्र, वर्ल्ड कप जीतने पर मनाया गया जश्न
हिमांशु जोशी, देहरादून। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जब वर्ल्ड कप जीता, तब देहरादून के सिनौला गांव में स्नेह राणा के घर के बाहर ढोल-नगाड़े बजे। हर आंख में गर्व और खुशी के आंसू थे। स्नेह, जिसने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत गांव के लड़कों के साथ गली क्रिकेट से की थी, आज विश्व मंच पर देश को वर्ल्ड कप जिताने वाली एक अद्वितीय खिलाड़ी बन गई हैं। यह जीत न केवल स्नेह के लिए, बल्कि उनके परिवार और पूरे गांव के लिए गर्व का क्षण है।
स्नेह राणा की मां विमला राणा ने जब टीवी पर अपनी बेटी को ट्रॉफी उठाते देखा, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने भावुक होकर कहा, “स्नेह ने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया।” यह जीत केवल एक ट्रॉफी नहीं है, बल्कि उन सभी वर्षों की मेहनत, संघर्ष और उम्मीद का फल है, जो परिवार ने स्नेह में डाली थी।
स्नेह राणा का बचपन और क्रिकेट के प्रति जुनून
स्नेह की मां विमला बताती हैं कि जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से दोस्ती करते हैं, उस उम्र में स्नेह ने क्रिकेट से दोस्ती कर ली थी। स्नेह हमेशा से मेहनती और दृढ़ निश्चयी रही हैं। चाहे बारिश हो या ठंड, वह सुबह-सुबह मैदान में प्रैक्टिस करने के लिए जाती थीं। उनका यह संघर्ष ही उन्हें आज इस मुकाम पर ले आया है।
2016 में स्नेह को खेल के दौरान घुटने में चोट लगी, जिससे वह लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और चार साल बाद भारतीय टीम में सफल वापसी की। इसी कारण उन्हें “कमबैक क्वीन” के नाम से भी जाना जाने लगा है।
फाइनल मैच की तैयारी और परिवार का समर्थन
वर्ल्ड कप फाइनल से पहले स्नेह के साथ ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई, लेकिन वह जीत को लेकर काफी आश्वस्त थीं। उनकी बड़ी बहन रुचि राणा का कहना है कि “दीवाली भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन हमारी असली दीवाली तो फाइनल जीतने के बाद ही मनी।” सेमीफाइनल जीतने के बाद परिवार को पूरा विश्वास था कि फाइनल में भी उनकी बेटियां बेहतरीन प्रदर्शन करेंगी।
फाइनल मैच जीतने के बाद घर के बाहर बड़े जोर-शोर से जश्न मनाया गया। सोमवार की सुबह से ही बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। यह जीत न केवल स्नेह के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का अवसर बन गई।
स्नेह की एकेडमी में जश्न का माहौल
स्नेह की एकेडमी में भी मनाया गया जश्न
स्नेह के बचपन के कोच नरेंद्र शाह ने इस सफलता पर खुशी जताई। लिटिल मास्टर क्रिकेट एकेडमी से ही स्नेह ने क्रिकेट की बुनियादी शिक्षा ली थी। एकेडमी में बच्चों ने स्नेह की तस्वीर के साथ तिरंगा लहराया और उनकी सफलता का जश्न मनाया।
कोच नरेंद्र शाह और किरन शाह ने कहा कि स्नेह हमेशा से अनुशासित, जुझारू और समर्पित खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने बताया कि स्नेह ने मुश्किल दौर में भी हार नहीं मानी और अपनी फिटनेस, बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर लगातार मेहनत की। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम पर पहुँचाया है।
स्नेह राणा का भविष्य और प्रेरणा
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस अभूतपूर्व जीत ने न केवल स्नेह राणा को, बल्कि सभी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है। स्नेह की कहानी यह दर्शाती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उनका यह सफर उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
स्नेह राणा ने साबित कर दिया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किलें राह में बाधा नहीं बन सकतीं। उनके इस सफर से यह सीख मिलती है कि हर खिलाड़ी को अपनी मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ना चाहिए। आने वाले समय में स्नेह और भी बड़ी उपलब्धियों को हासिल करेंगी, ऐसा विश्वास उनके परिवार और समर्थकों को है।























