उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र: विकास यात्रा और भविष्य की चर्चा
देहरादून से राज्य ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र मंगलवार को राज्य की **25 वर्ष की विकास यात्रा** और भविष्य के रोडमैप पर चर्चा के लिए आयोजित किया गया। इस सत्र के दौरान, सदन में कई बार सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि राजनीतिक बहसें हमेशा गर्मागर्म रहती हैं, खासकर जब विकास और राज्य के मुद्दों पर विचार किया जा रहा हो।
विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस
इस सत्र में भाजपा विधायक **विनोद चमोली** जब मूल निवास के विषय पर अपने विचार रख रहे थे, तब विपक्ष ने उन्हें टोकने की कोशिश की। चमोली ने कहा कि, “मैं उत्तराखंडी हूं और आप लोग पार्टी के लोग हैं।” इस पर कांग्रेस के विधायकों ने ऐतराज जताया और कहा कि **सभी उत्तराखंडी** हैं, और हमें राज्य के दर्द पर बात करनी चाहिए। इस पर विधानसभा की पीठ ने कहा कि “हम सब उत्तराखंडी हैं,” यह स्पष्ट करते हुए कि राज्य की एकता महत्वपूर्ण है।
भाषा और व्यवहार की मर्यादा
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री **प्रेमचंद अग्रवाल** ने अपने संबोधन में कहा कि भाजपा ने **2022** में लगातार दूसरी बार सत्ता में आकर एक मिथक को तोड़ा है, और उन्होंने 2027 में भी इसी स्थिति की भविष्यवाणी की। इस पर विपक्ष के विधायकों ने जोर-जोर से नारे लगाए, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने तत्काल संज्ञान लिया और नारेबाजी को कार्यवाही से हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने सदन के सभी सदस्यों से अपील की कि वे **मर्यादित भाषा** का प्रयोग करें और बहस के दौरान अपशब्दों का प्रयोग न करें।
सदन में अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता
सदन में चर्चा के दौरान कई बार विधायक आपस में बात करते हुए भी नजर आए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष **ऋतु खंडूड़ी भूषण** ने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जो सदस्य अपनी बात रख रहा है, उन्हें ध्यान से सुनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को कोई टिप्पणी करनी है, तो उसे सदन के बाहर जाकर करनी चाहिए। यह निर्देश सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
औद्योगिक भूमि का मुद्दा और कांग्रेस का इतिहास
कांग्रेस विधायक **भुवन कापड़ी** ने औद्योगिक समूह को भूमि देने का मुद्दा उठाया। इस पर कैबिनेट मंत्री **सौरभ बहुगुणा** ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों को **एक रुपये** में भूमि देने की प्रक्रिया की शुरुआत कांग्रेस ने ही की थी। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस इस नीति को विकास के लिए लाई थी, तो शुरुआत उनकी ही है, इसलिए तथ्यों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों पर विवाद
कांग्रेस विधायक **तिलकराज बेहड़** ने अपने ही पार्टी के विधायक **लखपत बुटोला** द्वारा राज्य के पहले मुख्यमंत्री के बारे में की गई टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। बेहड़ ने पीठ से आग्रह किया कि बुटोला ने भूलवश टिप्पणी की होगी, इसलिए इसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाए। इस पर भाजपा विधायक **दिलीप रावत** ने कहा कि कांग्रेस को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। इस मुद्दे पर रावत और बेहड़ के बीच बहस भी हुई, जो इस बात का संकेत है कि राजनीतिक संवाद में कभी-कभी गलतफहमियां भी उत्पन्न हो जाती हैं।
निष्कर्ष
उत्तराखंड विधानसभा का यह विशेष सत्र न केवल राज्य के विकास के मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच था, बल्कि यह राजनीतिक दलों के बीच विचारों के आदान-प्रदान और बहस का भी एक महत्वपूर्ण अवसर था। सदन में उठाए गए मुद्दे, चाहे वे भाषाई मर्यादा के हों या राजनीतिक इतिहास के, सभी ने इस बात को स्पष्ट किया कि राज्य के विकास के लिए सभी दलों को एकजुट होकर काम करना होगा।
राज्य की विकास यात्रा और भविष्य के रोडमैप पर बनी इस चर्चा ने यह दिखाया कि राजनीतिक संवाद कितना महत्वपूर्ण है, और इसे सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए सभी सदस्यों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।























