इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रैगिंग का मामला: छात्रों का हंगामा
10 अक्टूबर की रात इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने रैगिंग के आरोपों के जवाब में जोरदार प्रदर्शन किया। यह हंगामा तब हुआ जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने सर सुंदर लाल छात्रावास में रैगिंग की शिकायतों के आधार पर एक चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट शनिवार शाम को प्रस्तुत की, जिसमें कई महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा हुआ।
जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई कि वैभव कुमार, जो कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमए के छात्र हैं, सर सुंदर लाल छात्रावास के कक्ष संख्या 45 में अवैध रूप से रह रहे थे। रैगिंग की शिकायत रैगिंग पोर्टल के माध्यम से प्राप्त हुई थी, जिसमें बताया गया कि छात्रावास में बड़े पैमाने पर रैगिंग का आयोजन किया जा रहा है। इस मामले में वैभव का नाम भी सामने आया है।
जांच रिपोर्ट का विवरण
जांच रिपोर्ट के अनुसार, वैभव कुमार ने छात्रावास के अधीक्षक डॉ. पवन कुमार शर्मा से भूगोल विभाग में भेंट की थी। हालांकि, किसी भी छात्रावास का अधीक्षक परास्नातक के छात्रों को छात्रावास में प्रवेश देने के लिए अधिकृत नहीं है। दरअसल, यह अनुमति केवल उन्हीं छात्रों को दी जाती है, जिनकी सूची अधिष्ठाता, छात्र कल्याण द्वारा जारी की गई हो। अधीक्षक ने 10 अक्टूबर को शाम 3.15 बजे कुलानुशासक कार्यालय को सूचित किया कि वैभव ने उनके साथ गाली-गलौच और बदतमीजी की। वहीं, छात्र वैभव ने भी डॉ. पवन पर मारपीट का आरोप लगाया था।
इसके बाद, छात्र वैभव को 14 अक्टूबर को अधिष्ठाता, छात्र कल्याण कार्यालय में बुलाया गया था ताकि उसकी बात सुन सकें। लेकिन उससे पहले ही, शुक्रवार को वैभव सैकड़ों छात्रों के साथ विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन करने लगे। यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि छात्रों में रैगिंग के खिलाफ गहरी नाराजगी है और वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहते हैं।
अतीत में भी रैगिंग के मामलों में संलिप्तता
जांच के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि वैभव कुमार अतीत में भी कई विवादों में शामिल रहे हैं। इसके चलते पहले भी विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें 21 अक्टूबर 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है। इस प्रकार, यह मामला केवल एक रैगिंग की शिकायत नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई गंभीर मुद्दे हैं, जो छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।
छात्रों की प्रतिक्रिया और आगे की कार्यवाही
इस पूरे मामले पर छात्रों की प्रतिक्रिया तीव्र रही है। प्रदर्शनकारियों ने रैगिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है और विश्वविद्यालय प्रशासन से उचित कार्रवाई की अपील की है। छात्रों का यह मानना है कि रैगिंग की घटनाएं न केवल छात्र जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि यह विश्वविद्यालय की छवि को भी धूमिल करती हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले की गंभीरता को समझते हैं और जल्द ही उचित कदम उठाएंगे। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। छात्रों के हितों की रक्षा करना प्रशासन की प्राथमिकता है।
निष्कर्ष
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रैगिंग के इस मामले ने न केवल छात्रों के बीच चिंता बढ़ाई है, बल्कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए भी एक चुनौती बन गया है। रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है, ताकि छात्रों को एक सुरक्षित और सकारात्मक शैक्षणिक माहौल मिल सके। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि विश्वविद्यालयों में छात्रों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और किसी भी प्रकार की रैगिंग के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।























