Google ने भारत में प्रोजेक्ट सनकैचर के तहत स्पेस के लिए TPUs का सफल परीक्षण किया

kapil6294
Nov 05, 2025, 11:58 AM IST

सारांश

गूगल ने अंतरिक्ष में मशीन लर्निंग के लिए किया महत्वपूर्ण परीक्षण गूगल ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने ट्रिलियम-जनरेशन टेन्सर प्रोसेसिंग यूनिट्स (TPUs) का परीक्षण एक कण त्वरक में किया है। इस परीक्षण का उद्देश्य पृथ्वी के निम्न कक्ष में पाए जाने वाले विकिरण स्थितियों का अनुकरण करना था। यह विकास गूगल के प्रोजेक्ट […]

गूगल ने अंतरिक्ष में मशीन लर्निंग के लिए किया महत्वपूर्ण परीक्षण

गूगल ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने ट्रिलियम-जनरेशन टेन्सर प्रोसेसिंग यूनिट्स (TPUs) का परीक्षण एक कण त्वरक में किया है। इस परीक्षण का उद्देश्य पृथ्वी के निम्न कक्ष में पाए जाने वाले विकिरण स्थितियों का अनुकरण करना था। यह विकास गूगल के प्रोजेक्ट सन्सकैचर का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो अंतरिक्ष में स्केलेबल AI कंप्यूटिंग सिस्टम की खोज के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल है।

गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि हमारे ट्रिलियम-जनरेशन TPUs (जो AI के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं) कण त्वरक में परीक्षण के दौरान बिना किसी क्षति के बचे।” इस बयान से यह साफ है कि गूगल का उन्नत हार्डवेयर बाहरी अंतरिक्ष के कठोर वातावरण में भी टिकाऊ हो सकता है।

TPUs की खासियत और परीक्षण के परिणाम

गूगल के CEO के अनुसार, TPUs विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यभार को तेज करने के लिए डिज़ाइन किए गए चिप्स हैं। विकिरण के संपर्क में आने के दौरान इन चिप्स में कोई क्षति के संकेत नहीं मिले। यह इस बात का संकेत है कि गूगल का उन्नत हार्डवेयर अंतरिक्ष में इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के सामने आने वाली तीव्र विकिरण और तापमान के उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम हो सकता है।

प्रोजेक्ट सन्सकैचर का उद्देश्य सूर्य की विशाल, अदृश्य शक्ति का उपयोग करना है, जिसके तहत अंततः कक्ष में बड़े पैमाने पर AI कंप्यूट सिस्टम तैनात किए जाएंगे। यह विचार गूगल के उन प्रयासों से प्रेरित है जो तकनीकी सीमाओं को चुनौती देते हैं और परिवर्तनकारी नवाचार की खोज में लगे रहते हैं।

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सूर्य की शक्ति और उसके संभावित लाभ

गूगल ने बताया कि सूर्य से निकलने वाली शक्ति मानवता के कुल बिजली उत्पादन से 100 ट्रिलियन गुना अधिक है। यह संभावित ऊर्जा स्रोत कभी अंतरिक्ष आधारित कंप्यूटिंग को अधिक टिकाऊ और प्रभावी बना सकता है। हालांकि, गूगल ने स्वीकार किया कि इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने के लिए कई महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं।

  • ताप प्रबंधन
  • प्राकृतिक संवहन के बिना वातावरण में हीट को नियंत्रित करना
  • कक्ष में कार्यरत प्रणालियों की दीर्घकालिक विश्वसनीयता सुनिश्चित करना

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे और परीक्षण और तकनीकी breakthroughs की आवश्यकता होगी। गूगल ने 2027 की शुरुआत तक प्लैनेट लैब्स के साथ साझेदारी में दो प्रोटोटाइप उपग्रह लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो प्रोजेक्ट सन्सकैचर के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।

भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

जैसे-जैसे लॉन्च की उलटी गिनती शुरू होती है, गूगल का यह प्रयोग न केवल AI हार्डवेयर में प्रगति का प्रतीक है, बल्कि मशीन लर्निंग के संचालन के स्थान और तरीके को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक साहसी कदम भी है। यह कदम सचमुच तारों तक पहुँचने का प्रयास है।

गूगल की यह पहल न केवल तकनीकी दुनिया में एक नई क्रांति ला सकती है, बल्कि यह अंतरिक्ष में कंप्यूटिंग का भविष्य भी निर्धारित कर सकती है। इस दिशा में उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप, हमें भविष्य में अंतरिक्ष में AI के अनुप्रयोगों की एक नई दुनिया देखने को मिल सकती है।


कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

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