स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का मजबूत प्रदर्शन, तिमाही में 20,160 करोड़ का मुनाफा
भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में एक शानदार प्रदर्शन करते हुए 20,160 करोड़ रुपए का मुनाफा (स्टैंड-अलोन नेट प्रॉफिट) दर्ज किया है। यह पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 10% की वृद्धि दर्शाता है, जहां पिछले साल SBI का मुनाफा 18,331 करोड़ रुपए था। इस मुनाफे में बैंक की यस बैंक में 13.18% हिस्सेदारी बेचने से प्राप्त 4,593.22 करोड़ रुपए का लाभ भी शामिल है।
तिमाही के दौरान, SBI की कुल ब्याज आय 1.20 लाख करोड़ रुपए रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.13 लाख करोड़ रुपए थी। यह 5.08% की वृद्धि को दर्शाता है। इसी दौरान, SBI की नेट इंटरेस्ट इनकम भी 42,984 करोड़ रुपए रही, जो पिछले साल 41,620 करोड़ रुपए थी, इस प्रकार इसमें भी 3.28% की वृद्धि हुई।
NPA में कमी: SBI का नेट NPA 9% घटा
वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में SBI का नेट NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट 9.04% घटकर 18,460 करोड़ रुपए पर आ गया है। पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 20,294 करोड़ रुपए था। यह कमी बैंक के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो उसके परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार को दर्शाता है।
SBI ने 17 सितंबर 2025 को यस बैंक में अपनी 13.18% हिस्सेदारी ₹21.50 प्रति शेयर के मूल्य पर बेची थी, जिससे उसे ₹4,593.22 करोड़ का लाभ हुआ। बैंक ने इस मुनाफे को असाधारण आय के रूप में मान्यता दी है, जिसे कैपिटल रिजर्व में डालने की योजना है। हिस्सेदारी बेचने के बाद, SBI की यस बैंक में हिस्सेदारी घटकर 10.78% रह गई है। हालांकि, बैंक को फिर भी निवेश सहयोगी के रूप में माना जाएगा।
स्टैंडअलोन और कंसॉलिडेटेड रिजल्ट का अर्थ
कंपनियों के वित्तीय परिणाम दो प्रकार से प्रस्तुत किए जाते हैं: स्टैंडअलोन और कंसॉलिडेटेड। स्टैंडअलोन रिपोर्ट में केवल एक सेगमेंट या यूनिट का प्रदर्शन दिखाया जाता है, जबकि कंसॉलिडेटेड रिपोर्ट में पूरी कंपनी के सभी सेगमेंट का प्रदर्शन शामिल होता है। यह निवेशकों को कंपनी की समग्र स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।
NPA की अवधारणा और उसके प्रभाव
NPA, यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट, ऐसे बैंक लोन या क्रेडिट होते हैं जिनका भुगतान उधार लेने वाला समय पर नहीं कर पाता। अगर कोई व्यक्ति या कंपनी बैंक से लिया गया कर्ज 90 दिन या उससे अधिक समय तक चुकता नहीं करता, तो वह लोन NPA बन जाता है। इससे बैंक को नुकसान होता है, क्योंकि उस पैसे की वसूली मुश्किल हो जाती है। उदाहरण के लिए, यदि आपने बैंक से 10 लाख रुपए का लोन लिया और 3 महीने तक उसकी किस्त नहीं भरी, तो वह लोन NPA माना जाएगा।
SBI के शेयर में तेजी, 1 महीने में 10% का रिटर्न
तिमाही नतीजों के बाद SBI के शेयर में तेजी आई है। आज यह 1% की वृद्धि के साथ अपने ऑल टाइम हाई 959.30 रुपए पर कारोबार कर रहा है। पिछले एक महीने में SBI के शेयर में 10% का रिटर्न मिला है, जबकि एक साल में यह 15% तक चढ़ चुका है। पिछले 6 महीने में बैंक का शेयर 21% से अधिक बढ़ा है। SBI का मार्केट कैप 8.84 लाख करोड़ रुपए है, जो इसे देश की छठी सबसे बड़ी कंपनी बनाता है।
SBI: भारत का सबसे बड़ा सरकारी बैंक
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जिसे SBI के नाम से जाना जाता है, भारत का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। इस बैंक में सरकार की 55.5% हिस्सेदारी है। SBI की स्थापना 1 जुलाई 1955 को हुई थी और इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। वर्तमान में, बैंक की 23,000 से अधिक शाखाएँ और 50 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं। SBI दुनिया के 22 देशों में कार्यरत है, जिसमें भारत के बाहर 241 शाखाएँ शामिल हैं।
इस प्रकार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करते हुए एक सफल तिमाही का प्रदर्शन किया है। आने वाले समय में भी इस बैंक के प्रदर्शन पर नजर रखना जरूरी होगा, ताकि निवेशकों को सही निर्णय लेने में मदद मिल सके।























