कार्तिक पूर्णिमा 2025: महत्व और विशेषताएँ
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे अत्यधिक शुभ और पवित्र माना जाता है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा और गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान करते हैं एवं दान-पुण्य करते हैं। मान्यता है कि इस दिन किए गए दीपदान से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 05 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन व्रती जातकों को स्नान और दान करने का विशेष निर्देश दिया गया है।
हालांकि, इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया भी रहेगा, जिसे शुभ नहीं माना जाता है। भद्रा के प्रभाव के चलते भक्तों में यह चिंता बनी हुई है कि ऐसे में क्या करना उचित रहेगा। इस लेख में हम ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से जानेंगे कि इस दिन स्नान करने का सही समय क्या होगा और भद्रा का प्रभाव किस प्रकार से कार्य को प्रभावित करेगा।
क्या कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहेगा भद्रा का साया?
ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया अवश्य रहेगा। ऐसे में किसी भी मांगलिक कार्य को करने से बचना चाहिए क्योंकि इसे शुभ नहीं माना जाता है। हालांकि, भद्रा का प्रभाव केवल स्वर्ग लोक में रहेगा, जबकि पृथ्वी और पाताल लोक में इसका साया नहीं होगा। इसलिए, भक्तगण इस दिन स्नान और दीपदान कर सकते हैं। यह विशेष जानकारी भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी धार्मिक क्रियाओं को सही समय पर कर सकें।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दान का कार्य ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना जाता है। इस समय गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस वर्ष, शुभ स्नान-दान का मुहूर्त 5 नवंबर को सुबह 4 बजकर 52 मिनट से लेकर 5 बजकर 44 मिनट के बीच है।
इस मुहूर्त में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए और अपनी सामर्थ्यानुसार अन्न, वस्त्र, तिल, चावल या घी का दान करना चाहिए। स्नान-दान के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन के विशेष पूजा विधियों से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ मिल सकता है।
देव दिवाली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। देव दिवाली का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा के दिन होने के कारण इसे विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर शाम तक रहता है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में की गई पूजा का फल अधिक लाभकारी माना जाता है।
भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इस दिन दीप जलाएं और अपने घरों को रोशनी से भरें। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और शांति की भावना को भी बढ़ावा देता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर ध्यान रखने योग्य बातें
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया रहने पर मांगलिक कार्य न करें।
- स्नान और दान का कार्य ब्रह्म मुहूर्त में करें।
- स्नान के बाद भगवान विष्णु और शिव की पूजा अवश्य करें।
- इस दिन दीप जलाना न भूलें, ताकि आपके घर में सुख-शांति का वास हो।
इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक परंपराओं को मानने का अवसर है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त करने का भी एक माध्यम है। इस दिन की सही तैयारी और पूजा विधियाँ भक्तों को अधिक आशीर्वाद प्रदान कर सकती हैं।























