कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर अयोध्या में आस्था का महासागर | Image: Video Grab
कार्तिक पूर्णिमा 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व विशेष धार्मिक महत्त्व रखता है। इस दिन को विशेष रूप से ‘देव दिवाली’ के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन दान और स्नान का विशेष महत्व होता है, जिससे श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आज काशी और अयोध्या समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। विशेष रूप से अयोध्या में सरयू नदी के घाटों पर हजारों की संख्या में भक्त उपस्थित हुए। श्रद्धालुओं ने पवित्र सरयू में स्नान किया और अपनी आस्था के साथ पापों से मुक्ति की प्रार्थना की। अयोध्या का यह दृश्य किसी उत्सव से कम नहीं था, जहां भक्तों की रंग-बिरंगी परिधानों में सज-धजकर नदी किनारे जयकारों के साथ आस्था की डुबकी लगाते हुए देखा गया।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा की पूर्णिमा की किरणें पवित्र मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सरयू नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के दोष नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अयोध्या में यह पर्व भगवान राम से जुड़ा होने के कारण और भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरयू नदी भगवान विष्णु की कृपा से प्रकट हुई है, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर दान करने की वस्तुएं
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर मिलता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान, स्नान और दीपदान सौ गुना फल देता है। विशेष रूप से इस दिन दीपदान का महत्व अत्यधिक है।
अन्न का दान
कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों, जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को चावल, गेहूं, दाल या अन्य अनाज का दान करना अत्यंत शुभ होता है। अन्नदान को सर्वोत्तम दान माना जाता है, जिससे दाता को पुण्य की प्राप्ति होती है।
कपड़े का दान
पुराने या नए कपड़ों का दान भी कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति के कर्म शुद्ध होते हैं और जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तिल और तेल का दान
वास्तु और धर्म दोनों के अनुसार, तिल और तेल का दान करने से शनि दोष और पितृदोष दूर होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा की रात किसी मंदिर या नदी तट पर तिल का दीप जलाना और उसका दान करना विशेष फलदायक होता है।
सोने या चांदी का दान
कार्तिक पूर्णिमा पर चांदी के सिक्के या सोने का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और दाता को समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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