Chhath Puja Usha Arghya 2025: प्रधानमंत्री मोदी का वसुदेव घाट पर छठ पूजा

kapil6294
Oct 28, 2025, 7:34 AM IST

सारांश

छठ पूजा: उषा अर्घ्य का महत्व और प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी Also Read ❮ Teacher Suspended: पिटोल में छात्रों से अभद्रता और पिटाई का वीडियो वायरल Ticket News: बिहार में उमाकांत को दूसरी बार, नारायण को तीसरी बार... Festival: इंदौर में छठ महापर्व की धूम, व्रती करेंगी सूर्य को अर्घ्य Kartika एकादशी: पूजा का शुभ […]

छठ पूजा: उषा अर्घ्य का महत्व और प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी

छठ पूजा उषा अर्घ्य का समय 2025: आज छठ महापर्व का चौथा दिन है। इस दिन सूर्यदेव को उषा अर्घ्य देने के बाद इस महापर्व का समापन होगा। इस वर्ष छठ महापर्व का अंतिम दिन 28 अक्टूबर मंगलवार को है। इस दिन सभी व्रती नदी या घाट पर जाकर खड़े होकर उगते सूर्य को कच्चे दूध या गंगाजल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पूजा में बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना, धूप, अगरबत्ती, हल्दी और कई अन्य सामग्री रखी जाती है।

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ऐसी मान्यता है कि जो व्रती इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और संतान की इच्छा रखने वालों को संतान सुख का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। छठ पूजा के इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह वसुदेव घाट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं छठ पूजा के महत्व और इसके आयोजन के बारे में।

दिल्ली के वसुदेव घाट पर प्रधानमंत्री मोदी भी करेंगे छठ पूजा

इस बार दिल्ली में छठ महापर्व का उल्लास खास होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह वासुदेव घाट पर छठ पूजा में शामिल होने का कार्यक्रम बना रहे हैं। पीएम मोदी इस अवसर पर उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे, जिसे ‘उषा अर्घ्य’ भी कहा जाता है। यह दिल्ली में पहला मौका होगा जब कोई प्रधानमंत्री छठ पूजा में हिस्सा लेगा।

इस विशेष अवसर पर उनके साथ उपराज्यपाल बीके सक्सेना, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के अलावा केंद्र सरकार के कई मंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। इस तरह का आयोजन इस पर्व को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

छठ व्रतियों ने उषा अर्घ्य दिया। सूर्य उपासना के इस महापर्व का आज अंतिम दिन है। छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत का पारण किया। इस व्रत को करने के दौरान व्रती को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके फलस्वरूप उन्हें अपार संतोष और मानसिक शांति मिलती है।

छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन आज इस कठिन व्रत का पारण होता है। लगातार 36 घंटे तक निर्जल व्रत करने वाला साधक, सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को ‘उषा अर्घ्य’ अर्पित करता है। उषा अर्घ्य देने के बाद, व्रती सबसे पहले पवित्र जल ग्रहण करके अपने व्रत को खोलता है। इसके बाद, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, खीर, फल और अन्य पकवानों का सेवन किया जाता है। व्रत के पारण के साथ ही, चार दिनों तक चलने वाला यह आलौकिक व्रत पूर्ण होता है।

छठ पूजा का सांस्कृतिक महत्व

छठ पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व नदियों और जल स्रोतों की पवित्रता को बनाए रखने का संदेश देता है। लोग इस पर्व के माध्यम से एकजुट होते हैं और अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के पकवान बनते हैं और लोग एक-दूसरे के साथ उन्हें साझा करते हैं, जिससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं।

छठ पूजा का आयोजन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी भारतीय समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से अमेरिका, कनाडा, और यूरोप के कई देशों में भारतीय प्रवासी छठ पूजा का आयोजन करते हैं, जिससे यह पर्व वैश्विक स्तर पर पहचान बना रहा है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, छठ पूजा एक अद्भुत पर्व है जो न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी इस पर्व को और भी अधिक महत्व देती है और यह दर्शाता है कि यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक समारोह भी है। इस महापर्व के जरिए हम सभी को सूर्य की उपासना करते हुए जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करनी चाहिए।


कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

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