राजस्थान में नशा तस्करों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई
राजस्थान का नाथद्वारा शहर एक बार फिर से सुर्खियों में है, जहां जिला प्रशासन और पुलिस ने नशा तस्करों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। मंगलवार को, अधिकारियों ने श्रीनाथ मंदिर नाथद्वारा ट्रस्ट की 28.14 बीघा भूमि पर बने एक भव्य निर्माण को ध्वस्त कर दिया। यह भूमि “श्रीकृष्ण वाटिका” के नाम से जानी जाती है, जिस पर तस्करों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। कलेक्टर अजयसिंह राठौड़ के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई, जिससे तस्करों के मनसूबों को ध्वस्त किया गया।
अतिक्रमण की कहानी: कब्जा और मुकदमे
श्रीनाथजी मंदिर मंडल नाथद्वारा के मुख्य निष्पादन अधिकारी ने एक पत्र के माध्यम से जिला प्रशासन को सूचित किया था कि उक्त भूमि पर कुछ व्यक्तियों ने अतिक्रमण कर लिया है। इसके बाद, एसडीएम और कार्यपालक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में भारी पुलिस बल द्वारा इस अवैध निर्माण को ढहा दिया गया। यह कदम न केवल कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक था, बल्कि धार्मिक स्थल की पवित्रता को भी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था।
जानकारी के अनुसार, जालवाड़ निवासी अब्दुल हफीज ने लगभग 25 वर्ष पहले इस भूमि पर कब्जा किया था। इसके बाद, उनके परिवार के अन्य सदस्यों जैसे कि बेटे, दामाद और अन्य साझेदारों ने भी इस जमीन पर कब्जा जमाए रखा। अब्दुल हफीज के खिलाफ पहले से ही 12 मुकदमे दर्ज हैं, और उनकी मृत्यु के बाद भी उनके परिवार के सदस्यों ने इस अवैध कब्जे को जारी रखा है।
अतिक्रमणकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयां
अब्दुल हफीज के बेटे अरबाज उर्फ शब्बीर पर 10 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें मारपीट, हत्या का प्रयास, आर्म्स एक्ट और एनडीपीएस एक्ट के मामले शामिल हैं। वहीं, सलमान पुत्र महबूब पर एक एनडीपीएस का मुकदमा है। इसके अतिरिक्त, अब्दुल रशीद पर तीन मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें आर्म्स एक्ट और एनडीपीएस के मामले भी शामिल हैं। एक अन्य अतिक्रमी के खिलाफ चार मुकदमे हैं, जिनमें मारपीट, लूट और हत्या का प्रयास शामिल है।
नशा तस्करी के खिलाफ प्रशासन की मुहिम
अधिकारियों का मानना है कि ऐसी कार्रवाईयों से न केवल नशा तस्करी पर रोक लगेगी, बल्कि समाज में शांति और कानून व्यवस्था भी बनी रहेगी। एसपी अमित कुमार ने इस कार्रवाई के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि नशा तस्करी से समाज में कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, और इसलिए इसे खत्म करने के लिए प्रशासन ठोस कदम उठा रहा है।
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय समुदाय में प्रशासन के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लोग मानते हैं कि ऐसे कदमों से न केवल अवैध निर्माण पर रोक लगेगी, बल्कि युवाओं को भी नशे के जाल से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा, यह कदम धार्मिक स्थलों की पवित्रता को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।
समाज की भागीदारी और जागरूकता
इस तरह की कार्रवाईयों को सफल बनाने के लिए समाज की भागीदारी भी आवश्यक है। स्थानीय निवासियों को चाहिए कि वे प्रशासन को अवैध निर्माण और नशा तस्करी के बारे में सूचित करें, ताकि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई हो सके। इसके साथ ही, लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब प्रशासन और समाज मिलकर काम करते हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। नाथद्वारा में हुई यह कार्रवाई न केवल अवैध कब्जों के खिलाफ एक सख्त संदेश है, बल्कि समाज में नशा तस्करी के खिलाफ एकजुटता की भी मिसाल है।























