झालावाड़ में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया
झालावाड़ में करवा चौथ का पर्व इस वर्ष पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर, महिलाओं ने अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखा। चंद्र दर्शन के बाद, उन्होंने अपनी आराधना को पूरा करते हुए व्रत खोला। यह पर्व भारतीय संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है और इसे हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
व्रति महिलाएं इस दिन मिट्टी के करवे का उपयोग करते हुए पूजा-अर्चना करती हैं। चंद्र दर्शन के पश्चात, पतियों द्वारा जल ग्रहण कर व्रत का समापन किया जाता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जो महिलाओं के लिए उनके पति के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
महिलाओं की सामूहिक पूजा और उत्सव
इस पर्व के दौरान, व्रतधारी महिलाएं सज-धज कर सामूहिक रूप से एकत्रित हुईं। उन्होंने करवा चौथ की कथा सुनी और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। कई महिलाओं ने मंदिरों में जाकर पूजा की, जबकि कुछ ने अपने घरों के पास या मोहल्लों में समूह बनाकर इस पर्व को मनाया। इस प्रकार, यह पर्व न केवल व्यक्तिगत श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि सामूहिक एकता को भी दर्शाता है।
करवा चौथ की खरीदारी के लिए शहर के बाजारों में दिनभर भीड़भाड़ रही। सर्राफा बाजार, चौथ माता मंदिर क्षेत्र, गढ़ परिसर, एसबीआई रोड, मंगलपुरा, पंचमुखी बालाजी रोड और मोटर गैरेज तक मिट्टी के करवे और पूजा सामग्री की दुकानें सजी रहीं। महिलाओं ने अपने लिए सुंदर करवे और पूजा सामग्री खरीदने के लिए देर शाम तक खरीदारी की।
करवा चौथ का महत्व और परंपरा
करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जहां महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवासी रहकर चंद्रमा के दर्शन का इंतजार करती हैं। चंद्रमा के दर्शन के बाद, वे अपने पतियों से जल ग्रहण करती हैं, जिससे उनका व्रत समाप्त होता है।
इस दिन, महिलाएं अपने घरों को रंग-बिरंगे रंगोली और दीपों से सजाती हैं। इसके अलावा, वे नए कपड़े पहनकर और श्रृंगार करके इस पर्व का जश्न मनाती हैं। यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह रिश्तों को मजबूत करने का भी एक अवसर है।
समुदाय में एकता और प्रेम का प्रतीक
करवा चौथ का पर्व सिर्फ व्यक्तिगत व्रत का अवसर नहीं है, बल्कि यह समुदाय के बीच एकता और प्रेम का प्रतीक भी है। महिलाएं एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाती हैं और एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियों को साझा करती हैं। यह पर्व न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि संपूर्ण परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
इस प्रकार, झालावाड़ में करवा चौथ का पर्व धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का अद्भुत उदाहरण पेश करता है। यह पर्व न केवल भारतीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह महिलाओं की शक्ति और उनके समर्पण को भी उजागर करता है।
इस वर्ष का करवा चौथ पर्व महिलाओं के लिए एक नए उत्साह और उमंग के साथ आया, जिसने सभी को एकजुट कर दिया और पारंपरिक मूल्यों को और अधिक मजबूत किया।


























