मध्य प्रदेश में अमित बघेल के विवादास्पद बयान पर धार्मिक समुदायों का आक्रोश
छत्तीसगढ़ के नेता और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रमुख अमित बघेल द्वारा भगवान झूलेलाल, अग्रसेन महाराज, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर किए गए आपत्तिजनक बयानों के खिलाफ भोपाल में सिंधी और अग्रवाल समाज ने जागृत हिंदू मंच के बैनर तले एक महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। यह प्रदर्शन हाल ही में छत्तीसगढ़ में ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ की मूर्ति तोड़े जाने की घटना के बाद हुआ, जिसके बाद बघेल ने विवादास्पद टिप्पणी की थी।
अमित बघेल की विवादास्पद टिप्पणी
अमित बघेल ने कहा था, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अग्रसेन महाराज की मूर्ति क्यों नहीं टूटती? उनकी मूर्ति पर पेशाब क्यों नहीं करते? कौन है अग्रसेन महाराज? चोर है या झूठा?” इस बयान ने समाज में तीव्र आक्रोश फैला दिया। कई संगठनों ने इसे केवल किसी विशेष समाज का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की विचारधारा और श्रद्धा पर हमला मानते हुए इसका विरोध किया।
धार्मिक समुदायों की प्रतिक्रिया
जाग्रत हिंदू मंच के संरक्षक डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कहा, “अमित बघेल जैसे तत्व सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने और हिंदू समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। यह वही मानसिकता है जो हमारे महापुरुषों के आदर्शों को मिटाने का सपना देखती है। अब समय आ गया है कि केवल निंदा नहीं, बल्कि कानून का कठोर प्रहार हो।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तुरंत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी नहीं की गई, तो हिंदू समाज सड़कों पर उतरकर विरोध करेगा।
राष्ट्र का अपमान: मंच के संयोजक की टिप्पणी
मंच के संयोजक सुनील कुमार जैन ने कहा कि अमित बघेल की टिप्पणी केवल किसी विशेष समाज पर नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रवादी सोच पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे राष्ट्रपुरुषों का अपमान करना भारत की आत्मा को ठेस पहुंचाने जैसा है।”
ज्ञापन में उठाई सख्त कार्रवाई की मांग
जागृत हिंदू मंच द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि अमित बघेल की टिप्पणी भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है। ज्ञापन में मांग की गई कि उनके खिलाफ तत्काल आपराधिक प्रकरण दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति धार्मिक प्रतीकों या समाज के आदर्श पुरुषों का अपमान करने का दुस्साहस न करे।
सामाजिक संगठनों की एकजुटता
इस घटना ने विभिन्न सामाजिक संगठनों को एकजुट कर दिया है, जो अब एक साथ मिलकर इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल धार्मिक भावनाओं का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की एकता और अखंडता का भी प्रश्न है। जब तक इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे।
आगे की रणनीति
सामाजिक संगठनों का कहना है कि वे इस मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ बातचीत करेंगे। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और समाज में आपसी सद्भाव बना रहे। इसके लिए वे विभिन्न मंचों पर अपनी बात रखेंगे और जन जागरूकता अभियान भी चलाएंगे।
इस प्रकार, अमित बघेल के विवादास्पद बयानों ने न केवल सामाजिक संगठनों को एकजुट किया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि धार्मिक भावनाएं कितनी संवेदनशील हो सकती हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या समाज में फिर से शांति और सद्भाव स्थापित हो पाता है।























