कृषि फीडर अलग करने से किसानों को मिलेगी 10 घंटे बिजली की सुनिश्चित आपूर्ति
मध्य प्रदेश में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसके तहत कृषि कार्य के लिए **दस घंटे** बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कृषि फीडर को अलग किया गया है। इस नई नीति के तहत, यदि बिजली की आपूर्ति इस अवधि से अधिक होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों का वेतन काटने का प्रावधान भी रखा गया है। यह निर्णय किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि उन्हें निरंतर बिजली की सुविधा मिल सके और उनकी कृषि गतिविधियों में रुकावट न आए।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने इस संबंध में एक दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसमें कृषि फीडरों की अलगाव प्रक्रिया और उससे संबंधित प्रावधानों का विवरण दिया गया है। इस दिशा-निर्देश के अनुसार, किसानों को रात भर बिजली की आपूर्ति नहीं की जाएगी, लेकिन दिन के समय उन्हें आवश्यक **दस घंटे** बिजली मिलेगी। इस कदम का उद्देश्य न केवल किसानों की उत्पादकता बढ़ाना है, बल्कि बिजली वितरण में पारदर्शिता भी लाना है।
कांग्रेस ने उठाया मुद्दा, सरकार पर लगाया आरोप
हालांकि, इस नीति के लागू होते ही विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार कृषि के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है और किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। कांग्रेस के नेता इस मुद्दे को उठाते हुए कहते हैं कि यह निर्णय केवल कागजों में है और असलियत में किसानों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस के अनुसार, सरकार को चाहिए कि वह किसानों के लिए स्थायी और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करे, न कि केवल **दस घंटे** की सीमित आपूर्ति के साथ संतुष्ट हो। पार्टी ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है और किसानों के समर्थन में खड़ी होने का संकल्प लिया है।
किसानों की समस्याएं और सरकारी प्रयास
किसान हमेशा से बिजली की कमी और उसकी अनियमितता से परेशान रहे हैं। कई बार, फसल की सिंचाई के लिए उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती, जिससे उनकी उपज प्रभावित होती है। इस नई नीति के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को एक सुनिश्चित समय पर बिजली मिले, जिससे वे अपनी फसल का सही तरीके से ध्यान रख सकें।
सरकार ने यह भी कहा है कि कृषि फीडरों को अलग करने के बाद, बिजली वितरण में सुधार होगा और किसानों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार बिजली मिलेगी। इसके अलावा, अगर कोई भी अधिकारी इस नीति का पालन नहीं करता है, तो उसके वेतन में कटौती की जाएगी, जिससे जिम्मेदारी का एक तंत्र स्थापित हो सकेगा।
किसानों की राय और अपेक्षाएं
किसान इस नई योजना का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन उनकी अपेक्षाएं इससे कहीं अधिक हैं। कई किसान नेता यह मानते हैं कि केवल **दस घंटे** की बिजली आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। वे चाहते हैं कि सरकार किसानों की समस्याओं को गहराई से समझे और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए।
किसानों का कहना है कि अगर उन्हें रात के समय भी बिजली मिलती तो उनकी फसलें बेहतर होतीं। इसके अतिरिक्त, किसानों ने यह भी मांग की है कि बिजली की दरों में कमी की जाए, ताकि वे अपने कृषि कार्य को और अधिक लाभदायक बना सकें।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में कृषि कार्य के लिए **दस घंटे** बिजली की सुनिश्चित आपूर्ति एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके साथ ही किसानों की अन्य आवश्यकताओं और समस्याओं का समाधान करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेना होगा और किसानों की आवाज को सुनना होगा। अंततः, किसानों की भलाई के लिए एक स्थायी और प्रभावी समाधान ही इस क्षेत्र में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई और सरकारी नीतियों के परिणामों पर सभी की निगाहें रहेंगी। क्या यह कृषि फीडर अलग करने की नीति वास्तव में किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी, या यह केवल एक राजनीतिक खेल है, यह समय ही बताएगा।





















