ग्वालियर में धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ मोर्चा
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भीम आर्मी और दलित पिछड़ा समाज संगठन ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन संगठनों ने धीरेंद्र शास्त्री की आगामी यात्रा को रोकने के लिए राष्ट्रपति को एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में संगठन ने अपने विचार व्यक्त किए हैं और धीरेंद्र शास्त्री के बयान और उनके कार्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
धीरेंद्र शास्त्री के बयानों पर सवाल
दलित पिछड़ा समाज संगठन के नेता दामोदर यादव ने पत्र में उल्लेख किया है कि भारत एक **धर्मनिरपेक्ष देश** है। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री के कई बयानों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कैसे एक व्यक्ति जो “पेशाब पिलाने” की बातें करता है, वह जातियों को जोड़ने का दावा कर सकता है। यादव ने स्पष्ट किया कि ऐसे बयानों के बीच सनातन धर्म का एकत्रित होना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति कार्यालय से उनके पत्र का जवाब भी आ चुका है, जिससे उनके प्रयासों को एक नई दिशा मिल सकती है।
संगठनों की योजना
दामोदर यादव ने यह भी कहा कि उनका संगठन हर हाल में धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा को रोकने का प्रयास करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी मांगें न्यायिक और संवैधानिक हैं, और वे किसी भी गैर-संवैधानिक कार्यक्रम को सफल नहीं होने देंगे।
भीम आर्मी की प्रतिक्रिया
भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र विद्रोही ने भी धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साधते हुए कहा कि शास्त्री जाति-पात खत्म करने का दावा करते हैं, लेकिन उनके कार्यों से ऐसा नहीं लगता है। विद्रोही ने यह भी कहा कि भीम आर्मी इस बात पर जोर देगी कि जहां भी सांप्रदायिकता फैलाने का प्रयास किया जाएगा, वह उसे सफल नहीं होने देगी।
धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा पर विवाद
धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा को लेकर उठे इस विवाद ने एक बार फिर से समाज में जातियता और धार्मिकता के मुद्दों को ताजा कर दिया है। कई सामाजिक संगठन इस प्रकार के कार्यक्रमों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि समाज में अभी भी कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होना आवश्यक है।
समाज में संभावित प्रभाव
अगर धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा को रोकने में ये संगठन सफल होते हैं, तो इसका प्रभाव केवल धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी पड़ सकता है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि समाज में विभिन्न संगठन अपनी आवाज उठाने के लिए तत्पर हैं।
राष्ट्रपति को लिखा पत्र
राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में संगठनों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए एक गंभीर संदेश देने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विविधता को सम्मानित किया जाना चाहिए और किसी भी व्यक्ति या संगठन को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए जो समाज में विभाजन का कारण बनें।
निष्कर्ष
ग्वालियर में धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ उठे इस मोर्चे ने यह साबित कर दिया है कि समाज में जागरूकता बढ़ रही है। विभिन्न संगठन एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं, और यह एक सकारात्मक संकेत है। यही कारण है कि यह मुद्दा केवल एक यात्रा का नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद और सहिष्णुता का है।























