Kartik Purnima: अमरकंटक में श्रद्धालुओं की भारी भीड़, नर्मदा में स्नान

kapil6294
Nov 05, 2025, 10:43 AM IST

सारांश

कार्तिक पूर्णिमा 2025: श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ अमरकंटक में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 2025 में देशभर से श्रद्धालुओं की एक बड़ी संख्या अमरकंटक पहुंची है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है, विशेषकर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान […]

कार्तिक पूर्णिमा 2025: श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ अमरकंटक में

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 2025 में देशभर से श्रद्धालुओं की एक बड़ी संख्या अमरकंटक पहुंची है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है, विशेषकर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु, भगवान भोलेनाथ और कार्तिकेय देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु इस दिन विशेष रूप से स्नान, दर्शन और दीपदान करते हैं, जिसे अत्यंत फलदायी और शुभ माना जाता है।

अमरकंटक, जो कि एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इस दिन किए गए धार्मिक क्रियाकलाप उन्हें विशेष आशीर्वाद और सुख-शांति प्रदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व, जो कि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है, लोगों के लिए आध्यात्मिक और मानसिक शांति का एक साधन बनता है।

कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन को लेकर अनेक मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने ‘महा विष्णु’ का अवतार लिया था और इसी दिन भगवान शिव ने भगवान कार्तिकेय को प्रकट किया था। इस दिन किए गए पूजा-अर्चना से भक्तों को अनेक लाभ मिलते हैं।

  • स्नान और पवित्रता: इस दिन गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है।
  • दीपदान: दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • पूजा-अर्चना: विशेष रूप से भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति और सुख मिलता है।

अमरकंटक में श्रद्धालुओं की भीड़

अमरकंटक में इस विशेष अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। लोग यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण का आनंद लेने के साथ-साथ अपने पापों का प्रायश्चित करने पहुंचे हैं। अमरकंटक, जो कि नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है, यहां की पवित्रता और आध्यात्मिकता भक्तों को आकर्षित करती है।

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श्रद्धालुओं का मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन अमरकंटक में स्नान करने से उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यहां आने वाले लोग न केवल धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी अनुभव करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के साथ जुड़ी परंपराएं

कार्तिक पूर्णिमा के पर्व के साथ कई परंपराएं जुड़ी हुई हैं। भक्त इस दिन विशेष रूप से व्रत रखते हैं और रात को दीप जलाते हैं। कई लोग इस दिन भगवान शिव की आराधना करते हुए रात्रि जागरण भी करते हैं। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर इस दिन विशेष मेले का आयोजन भी किया जाता है, जहां लोग धार्मिक वस्त्र, प्रसाद और अन्य सामान खरीदते हैं।

  • व्रत और उपवास: श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं और उपवास करते हैं।
  • दीप जलाना: घरों में दीप जलाकर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
  • धार्मिक मेले: कई स्थानों पर इस दिन धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है। श्रद्धालुओं का अमरकंटक में आना और वहां की पवित्रता का अनुभव करना, इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा देता है। सभी श्रद्धालुओं को इस दिन की शुभकामनाएं और आशा है कि यह पर्व उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लेकर आए।

इस अवसर पर सभी से अनुरोध है कि वे अपनी धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखें और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें।

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कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

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