ग्वालियर में मनाया जाएगा गुरु नानक देव जी का 556वां प्रकाश पर्व
ग्वालियर: सिखों के पहले गुरु, गुरुनानक देव जी का 556वां प्रकाश पर्व (जयंती) 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन देशभर के साथ ही ग्वालियर में भी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस विशेष अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 3 नवंबर, सोमवार को हुई।
तड़के 3 नवंबर को सुबह 6:30 बजे गुरुद्वारा फूलबाग से एक प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें संगत ने गुरुवाणी का गायन किया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, फूलबाग ने सभी संगत से अपील की है कि वे प्रकाश पर्व पर पहुंचकर लंगर (प्रसाद) सेवा में सहयोग करें। श्री गुरुनानक देव गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष एसएच कोचर ने बताया कि 5 नवंबर को दोपहर 12:30 बजे से लंगर प्रारंभ होगा, जो रात करीब 3-4 बजे तक लगातार चलेगा।
गुरुद्वारों में विशेष विद्युत सज्जा की गई
गुरुनानक देव जयंती के अवसर पर ग्वालियर स्थित सभी गुरुद्वारों में विशेष विद्युत सज्जा की गई है। यहां हजारों श्रद्धालु मत्था टेकने के लिए पहुंचने वाले हैं। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के पूर्व सचिव कमलजीत सिंह ने बताया कि गुरु नानक देव जी का जन्म दिनांक पारंपरिक रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन माना जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह तारीख 15 अप्रैल 1469 थी। गुरु नानक का जन्म तलवंडी राय भोई गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब में स्थित है।
यह स्थान लाहौर के पास स्थित है, जो पहले अविभाजित भारत का हिस्सा था। ग्वालियर में गुरुनानक देव जी के प्रति श्रद्धा का यह भाव लंबे समय से चला आ रहा है। सिख समाज का गौरवशाली इतिहास ग्वालियर से जुड़ा हुआ है, जिसमें इसे सिखों के 6वें गुरु गुरु हरगोबिंद जी के योगदान का श्रेय दिया जाता है।
गुरु हरगोबिंद जी का ग्वालियर किले से संबंध
मुगल शासक जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब जी को ग्वालियर किले में लगभग दो साल तीन माह तक बंदी बनाकर रखा था। जब जहांगीर ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया, तो गुरु साहिब ने किले में पहले से कैद 52 हिंदू राजाओं को भी रिहा करने की शर्त रखी। जहांगीर ने कहा कि जो राजा गुरु जी का वस्त्र पकड़कर बाहर निकलेंगे, वे आजाद हो जाएंगे।
गुरु हरगोविंद साहिब ने तुरंत 52 कलियों वाला एक विशेष चोला बनवाया, जिसे पकड़कर सभी 52 राजा उनके साथ कैद से आजाद हुए। यही कारण है कि गुरु हरगोविंद साहिब जी को “दाता बंदी छोड़” कहा गया, और किले पर बने गुरुद्वारे का नाम इसी घटना पर पड़ा। यह स्थान आज विश्वभर के सिख श्रद्धालुओं के लिए छठा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है।
गुरुद्वारे में भक्तों की भारी भीड़
गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी ने श्रद्धालुओं से निवेदन किया है कि वे अपने घरों से गुरु के लंगर प्रसाद के लिए रोटियां बनाकर लाएं। किला स्थित गुरुद्वारे पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचेंगे और अरदास करेंगे। यही कारण है कि किला स्थित दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारे में भी विशेष तैयारियां की गई हैं।
गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह सिख समाज की एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस अवसर पर सिख समुदाय के लोग एकत्रित होकर न केवल अपने गुरु को याद करेंगे, बल्कि उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए एकजुटता का संदेश भी देंगे।
उम्मीद है कि इस वर्ष का प्रकाश पर्व ग्वालियर में एक नए उत्साह के साथ मनाया जाएगा, जिसमें सभी श्रद्धालु मिलकर गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं को श्रद्धांजलि देंगे।





















