4 नवंबर 2025 को, पूर्वोत्तर राज्यों के नेताओं ने एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जिसमें उन्होंने अपने मुख्य एजेंडे पर चर्चा की। इस बैठक में नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनका मुख्य ध्यान भूमि अधिकारों, पड़ोसी देशों से अवैध घुसपैठ, छठे अनुसूची की सुरक्षा और पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ हो रहे जातीय भेदभाव को समाप्त करने पर होगा।
भूमि अधिकारों की सुरक्षा
पूर्वोत्तर क्षेत्र में भूमि अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। नेताओं का मानना है कि यह कदम न केवल स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी प्रोत्साहित करेगा। भूमि अधिकारों के संबंध में सही नीतियों का निर्माण करना और उन्हें लागू करना अत्यंत आवश्यक है।
अवैध घुसपैठ पर अंकुश
बैठक में नेताओं ने पड़ोसी देशों से होने वाली अवैध घुसपैठ को रोकने के उपायों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है, और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अवैध घुसपैठ से स्थानीय संसाधनों और संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
छठे अनुसूची की सुरक्षा
छठे अनुसूची का संरक्षण भी बैठक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि यह अनुसूची पूर्वोत्तर के आदिवासी समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है और इसे सुरक्षित रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस अनुसूची के तहत मिलने वाले अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना होगा, ताकि स्थानीय लोगों की पहचान और संस्कृति को सुरक्षित रखा जा सके।
जातीय भेदभाव के खिलाफ लड़ाई
पूर्वोत्तर के लोग लंबे समय से जातीय भेदभाव का सामना कर रहे हैं। नेताओं ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इसे समाप्त करने के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सभी समुदायों को समानता का अधिकार है और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
आगे की योजना
भविष्य में इन मुद्दों पर और चर्चा करने के लिए अन्य बैठकें आयोजित की जाएंगी। नेताओं ने कहा कि वे सरकार के साथ मिलकर इन समस्याओं के समाधान के लिए काम करेंगे। उनकी योजना है कि वे विभिन्न संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर एक व्यापक रणनीति विकसित करें ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी विकास और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष
पूर्वोत्तर के नेताओं की यह बैठक इस क्षेत्र के लिए एक नई दिशा निर्धारित करती है। भूमि अधिकारों की सुरक्षा, अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण, छठे अनुसूची का संरक्षण और जातीय भेदभाव के खिलाफ लड़ाई, ये सभी मुद्दे न केवल स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पूरे देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए भी आवश्यक हैं।
नेताओं ने एकजुट होकर इन समस्याओं का समाधान करने का संकल्प लिया है और इसकी दिशा में आगे बढ़ने के लिए वे तैयार हैं। यह समय है कि सभी समुदाय मिलकर एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करें।























