दुमका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन
दुमका में मंगलवार की शाम को भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला जलाया। यह प्रदर्शन चाईबासा के तांबो चौक पर हुई पुलिस की कार्रवाई के विरोध में किया गया। पुलिस ने वहां पर नो-एंट्री की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे आम नागरिकों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोलों की बौछार की। इस घटना से आहत भाजपा कार्यकर्ताओं ने टीन बाजार चौक पर एकत्र होकर अपने नेता की नीतियों का विरोध करते हुए यह कदम उठाया।
चाईबासा में पुलिस की कार्रवाई का विवरण
चाईबासा में मंगलवार की रात को नो-एंट्री की मांग को लेकर नागरिकों द्वारा किए गए प्रदर्शन में पुलिस ने जबर्दस्त कार्रवाई की। इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस कार्रवाई ने वहां के नागरिकों में आक्रोश पैदा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा कार्यकर्ताओं ने दुमका में मुख्यमंत्री का पुतला जलाने का निर्णय लिया।
भाजपा कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई न केवल असंवेदनशील थी बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने में असफल रहे हैं। इस पुतला दहन के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि वे इस तरह की नीतियों के खिलाफ हैं और उन्हें किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रदर्शन के दौरान की गई मांगें
भाजपा कार्यकर्ताओं ने चाईबासा में हुई पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ कई मांगें उठाई हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पुलिस कार्रवाई की उच्चस्तरीय जांच: कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि पुलिस की लाठीचार्ज और आंसू गैस के प्रयोग की जांच की जाए।
- पुलिस प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया।
- मुख्यमंत्री का इस्तीफा: भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है और कहा है कि उनकी नीतियों के कारण ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। कुछ विपक्षी नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई को अत्यधिक आक्रामक बताया है। उनके अनुसार, सरकार को नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, सत्ताधारी दल ने इस प्रदर्शन को राजनीतिक ड्रामा करार दिया है और कहा है कि भाजपा इस तरह के हथकंडे अपनाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही है।
निष्कर्ष
दुमका में हुए इस पुतला दहन और चाईबासा में पुलिस की कार्रवाई ने एक बार फिर से राज्य की राजनीतिक स्थिति को गरमा दिया है। यह घटना यह दर्शाती है कि जनता अपनी आवाज उठाने के लिए कितनी तत्पर है, भले ही उसे किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़े। राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते इस तनाव के बीच, यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या नागरिकों की आवाज सुनने का कोई प्रयास होता है।























