झारखंड में मनरेगा योजनाओं की गति धीमी, धन की कमी बनी बाधा
झारखंड में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजनाओं का कार्य बेहद धीमा हो गया है। इस स्थिति का मुख्य कारण धन की कमी है, जिससे कई प्रखंडों में विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। पिछले तीन वित्तीय वर्षों में मटेरियल मद में लगभग 15 करोड़ रुपये और पिछले एक महीने से मजदूरी मद में करीब 3 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। यह स्थिति मजदूरों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है, क्योंकि उन्हें समय पर मजदूरी नहीं मिल पा रही है।
चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 8201 योजनाएं स्वीकृत की गई थीं, लेकिन अब तक केवल 570 योजनाएं पूरी हो पाई हैं। इस प्रकार, 7694 योजनाएं अभी भी लंबित हैं। चालू वर्ष में योजनाओं के पूर्ण होने की दर केवल 6.18 प्रतिशत रही है, जो पिछले वर्षों के मुकाबले अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। यह स्थिति ग्रामीण विकास के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
धन की कमी से प्रभावित कार्य
मनरेगा योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। लेकिन जब तक इन योजनाओं के लिए आवश्यक धनराशि समय पर उपलब्ध नहीं होगी, तब तक विकास कार्य प्रभावित होते रहेंगे। इससे न केवल मजदूरों की आजीविका पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि ग्रामीण विकास की गति भी रुक जाती है।
- कार्य अधूरे पड़े: कई प्रखंडों में विकास कार्य अधूरे पड़े हैं, जिससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- मजदूरी का भुगतान लंबित: मजदूरों को समय पर मजदूरी का भुगतान न मिलने से उनके जीवन स्तर पर असर पड़ा है।
- योजनाओं की स्वीकृति: चालू वित्तीय वर्ष में स्वीकृत योजनाओं की संख्या काफी अधिक है, लेकिन उनकी वास्तविकता बहुत कमजोर है।
सरकार की जिम्मेदारी और ग्रामीण विकास
इस पूरे मामले में सरकार की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है। यदि सरकार समय पर धन उपलब्ध नहीं करवा पाती है, तो यह न केवल ग्रामीण विकास को प्रभावित करेगा, बल्कि सरकार की योजनाओं की विश्वसनीयता भी दांव पर लग जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए मनरेगा योजनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, और इनका सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निगरानी और प्रयास की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर धन का आवंटन नहीं हुआ, तो आने वाले समय में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए और धन की कमी को दूर करने के लिए उचित उपाय करें।
निष्कर्ष
झारखंड में मनरेगा योजनाओं की धीमी गति और धन की कमी से उत्पन्न समस्याएं एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। क्या सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी? क्या मजदूरों को समय पर उनका हक मिलेगा? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब समय के साथ ही मिलेगा। ग्रामीण विकास के लिए यह जरूरी है कि योजनाओं को सही से लागू किया जाए और मजदूरों की समस्याओं का समाधान किया जाए।
इस तरह, झारखंड में मनरेगा की योजनाएं ना केवल ग्रामीण विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि यह कई लोगों की रोजी-रोटी का भी सवाल है। यदि सरकार इस दिशा में सक्रियता दिखाए, तो न केवल योजनाएं सफल होंगी, बल्कि ग्रामीणों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।


















