झारखंड में जैक बोर्ड की बैठकें न होने से शिक्षकों में आक्रोश
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा समय पर बोर्ड की बैठकों का आयोजन न होने के कारण कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय नहीं लिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, वित्त रहित शिक्षकों में आक्रोश का माहौल बन गया है। शिक्षकों की समस्याओं को लेकर अब उन्होंने 21 नवंबर को जैक कार्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय शिक्षकों के बीच बढ़ते असंतोष को दर्शाता है, जो पिछले कई महीनों से समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
जैक बोर्ड के अंतर्गत आने वाले नियमों के अनुसार, बोर्ड की बैठक हर तीन महीने में आयोजित की जानी चाहिए। लेकिन पिछले **5 महीनों** से कोई भी बैठक नहीं हुई है, जिससे कई अकादमिक मामलों में बदलाव नहीं हो पाए हैं। इसी दौरान, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पिछले **6 महीनों** में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे जैक बोर्ड के छात्रों को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, समय पर बैठकें न होने के परिणामस्वरूप शासी निकाय का गठन भी नहीं हो सका, जिससे वित्तीय वर्ष **2024-25** में **40 से अधिक** स्कूल और इंटर कॉलेज अनुदान से वंचित रह गए हैं।
जैक बोर्ड की समस्याएँ और उनके प्रभाव
शिक्षकों का कहना है कि जैक बोर्ड में प्रधान परीक्षक और परीक्षा से जुड़े भत्तों में पिछले **13 वर्षों** से कोई बदलाव नहीं हुआ है, जो कि एक गंभीर मुद्दा है। इसके अलावा, परीक्षा नियंत्रक का पद पिछले **8 वर्षों** से खाली है, जिससे बोर्ड की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, अकादमी ऑफिसर और वित्त पदाधिकारी भी संविदा पर कार्यरत हैं, जो कि नियमावली के विपरीत है। इस स्थिति ने शिक्षा के गुणवत्ता में कमी और समस्याओं के समाधान में देरी का कारण बना है।
- समय पर बैठकें न होने से शिक्षकों में आक्रोश बढ़ रहा है।
- सीबीएसई के मुकाबले जैक बोर्ड में बदलाव की कमी है।
- शासी निकाय का गठन न होने से कई स्कूलों को अनुदान नहीं मिल पा रहा है।
- परीक्षा नियंत्रक का पद खाली रहने से बोर्ड की कार्यप्रणाली पर असर।
अध्यापकों का प्रदर्शन और भविष्य की योजना
21 नवंबर को होने वाले घेराव में शिक्षकों का एक बड़ा समूह शामिल होने की संभावना है। शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए। इस प्रदर्शन के जरिए वे बोर्ड की बैठकों की नियमितता सुनिश्चित करने, प्रधान परीक्षक और परीक्षा नियंत्रक के पदों को भरने, और भत्तों में वृद्धि की मांग कर रहे हैं।
शिक्षकों का मानना है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे भविष्य में और भी कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र नहीं हुआ, तो वे अन्य स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों को भी इस आंदोलन में शामिल करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, वे सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों का उपयोग करके अपने मुद्दों को उठाने का भी विचार कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस समय झारखंड में शिक्षा प्रणाली को लेकर अनेक चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। जैक बोर्ड की समय पर बैठकें न होना और शिक्षकों की समस्याओं का समाधान न होना, इन सबके चलते एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। शिक्षकों का प्रदर्शन इस बात की ओर संकेत करता है कि उन्हें अपनी आवाज उठाने की आवश्यकता है। यदि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेगी, तो यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है। सभी शिक्षकों और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि जैक बोर्ड अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाए और शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करे।


















