झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आर. मुखोपाध्याय की मां का निधन
झारखंड हाईकोर्ट के माननीय जस्टिस आर. मुखोपाध्याय की मां, रीना मुखर्जी, का निधन मंगलवार को हुआ। उनकी उम्र 90 वर्ष थी और वह पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रही थीं। उनके निधन से परिवार में गहरा शोक छा गया है। रीना मुखर्जी अपने पीछे एक पुत्र, बहू, एक पौत्र और एक पौत्री को छोड़ गई हैं, जो उन्हें हमेशा याद करेंगे।
उनके निधन की खबर सुनते ही, उच्च न्यायालय परिवार के सदस्य जैसे चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और अन्य जज उनके डोरंडा स्थित आवास पर पहुंचे। सभी ने मिलकर उन्हें सांत्वना दी और इस दुखद घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़े रहने का प्रयास किया। यह घटना सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि न्यायालय के सभी सदस्यों के लिए भी एक गहरा सदमा है।
मुख्यमंत्री का संवेदना संदेश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस दुखद अवसर पर जस्टिस मुखोपाध्याय के घर पहुंचे। उन्होंने स्व. रीना मुखर्जी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें इस कठिन समय में ढाढ़स बंधाया। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक-संतप्त परिवार को धैर्य और शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से कामना की।
रीना मुखर्जी के निधन की खबर ने ना केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे न्यायालय परिवार को दुखी कर दिया है। उनकी यादें, उनके आशीर्वाद और उनके साथ बिताए गए पल हमेशा उनके प्रियजनों के दिलों में जिंदा रहेंगे।
जस्टिस मुखोपाध्याय की मां का जीवन
रीना मुखर्जी का जीवन हमेशा से प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने अपने परिवार को हमेशा प्रेम और स्नेह से भरा रखा। उनके जीवन के कई पहलू थे, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। उनका समर्पण, त्याग और साहस हमेशा याद किया जाएगा।
उनका परिवार उन्हें एक सशक्त महिला के रूप में याद करेगा, जिन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने बच्चों और पोते-पोतियों को एक बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। उनकी शिक्षाएं और उनके द्वारा दिए गए मूल्य हमेशा परिवार के सदस्यों के साथ रहेंगे।
समाज में रीना मुखर्जी का योगदान
रीना मुखर्जी का जीवन केवल उनके परिवार तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज में भी अपने योगदान दिए। उनकी सामाजिक गतिविधियों और सेवाओं के कारण वे अपने समुदाय में एक सम्मानित व्यक्तित्व थीं। उनकी सेवाएं और उनके कार्यों ने अनेक लोगों को लाभान्वित किया है।
उनकी उपस्थिति हमेशा दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। उनके विचार और दृष्टिकोण ने कई लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। उनके जाने से जो खालीपन उनके परिवार और समाज में आया है, वह कभी नहीं भरा जा सकेगा।
निष्कर्ष
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आर. मुखोपाध्याय की मां रीना मुखर्जी का निधन एक गहरा सदमा है। उनके परिवार, दोस्तों और समाज के लिए यह एक कठिन समय है। हम सभी को उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए और उनके द्वारा दिए गए मूल्यों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
हम रीना मुखर्जी की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं और उनके परिवार के सदस्यों को इस कठिन घड़ी में धैर्य और साहस प्रदान करने की कामना करते हैं।





















