झारखंड में साउथ एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारियां शुरू
झारखंड एक बार फिर एशिया के खेल नक्शे पर अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार है। 24 से 26 अक्टूबर तक मोरहाबादी के बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम में आयोजित होने वाली चौथी साउथ एशियन एथलेटिक्स (सैफ) सीनियर चैंपियनशिप के लिए शुक्रवार को लोगो, मस्कट और एंथम सॉन्ग का अनावरण किया गया। यह आयोजन न केवल खेल के क्षेत्र में झारखंड की पहचान को स्थापित करेगा, बल्कि इसकी सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करेगा।
मस्कट ‘दलमा’ की विशेषता
इस चैंपियनशिप का सबसे बड़ा आकर्षण मस्कट ‘दलमा’ है, जो झारखंड के प्रतीक पशु से प्रेरित है। मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने बताया कि ‘दलमा’ के शरीर पर उकेरे गए सोहराय और कोहबर कला की डिज़ाइन राज्य की जनजातीय परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं। सफेद परिधान और तिरंगे की आभा में सजी ‘दलमा’ केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा, शक्ति, संस्कृति और एकता का जीवंत रूप बन गई है। प्रतियोगिता के दौरान ‘दलमा’ का मैदान में प्रवेश ढोल-नगाड़ों की थाप पर होगा, जो पूरे माहौल को उत्सव में बदल देगा।
एंथम सॉन्ग का अनावरण
इस कार्यक्रम में लॉन्च हुआ एंथम सॉन्ग हिंदी और नागपुरी भाषा का सुंदर मिश्रण है। ‘हर हर हरे… झारखंड के माटी…’ शीर्षक वाले इस गीत को झारखंड के प्रसिद्ध गायक रोहन डी पाठक ने अपनी आवाज दी है। इस गीत में राज्य की लोक संस्कृति, हरियाली और खेल भावना को बखूबी दर्शाया गया है। खेल मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि यह झारखंड के लिए गर्व का क्षण है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य दक्षिण एशिया के सभी खिलाड़ियों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देश और खिलाड़ी
इस बार प्रतियोगिता में भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका के 300 एथलीट और 150 तकनीकी अधिकारी हिस्सा लेंगे। भारतीय टीम में कुल **81 खिलाड़ी** शामिल हैं, जो **37 स्वर्ण पदक** स्पर्धाओं में भाग लेंगे। भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन के महासचिव डॉ. मधुकांत पाठक ने बताया कि भारत तीसरी बार इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप की मेजबानी कर रहा है, जो झारखंड की खेल संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक सुनहरा अवसर है।
झारखंड का खेल और सांस्कृतिक धरोहर
यह आयोजन झारखंड की समृद्ध खेल और सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा। झारखंड की जनजातीय संस्कृति, खेल प्रेम और मेहमान नवाज़ी की भावना इस चैंपियनशिप के माध्यम से एक नई पहचान बनाएगी। राज्य सरकार ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आवश्यक सभी कदम उठाए हैं और उम्मीद है कि यह कार्यक्रम न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी यादगार साबित होगा।
निष्कर्ष
साउथ एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप का यह आयोजन झारखंड के लिए गर्व का क्षण है और यह खेल के क्षेत्र में राज्य की पहचान को और मजबूत करेगा। खेल मंत्री और राज्य सरकार की इस पहल से झारखंड का नाम एशिया में और भी ऊंचाई पर पहुंचेगा। इस चैंपियनशिप के माध्यम से झारखंड की संस्कृति, खेल भावना और एकता का संदेश पूरे क्षेत्र में फैलाने का अवसर मिलेगा।























