चक्रवात ‘मोंथा’ से झारखंड के किसानों पर पड़ी भारी मार
झारखंड के प्रखंड क्षेत्र में चक्रवात ‘मोंथा’ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। लगातार बारिश और तेज हवाओं के कारण खेतों में खड़ी धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसके अलावा आलू, मटर और हरी सब्जियां भी पानी में सड़ चुकी हैं, जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। इस आपदा ने किसानों की आर्थिक स्थिति को भी झकझोर दिया है, और ऐसे में उन्हें मुआवजे की आवश्यकता महसूस हो रही है।
भाजपा रांची जिला ग्रामीण सोशल मीडिया प्रतिनिधिमंडल ने इस स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है। प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से मांग की है कि पूरे प्रखंड क्षेत्र में फसल क्षति का सर्वेक्षण कराया जाए। इसके साथ ही, किसानों को मुआवजा और बीज सहायता दी जाए। भाजपा नेता शशि मेहता ने इस समस्या पर चर्चा करते हुए कहा, “चक्रवात ‘मोंथा’ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। सीमांत और बटाईदार किसान इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।”
किसानों की मदद के लिए प्रशासन से अपील
रूपेश साहू, एक अन्य भाजपा नेता, ने भी प्रशासन से आग्रह किया है कि प्रभावित क्षेत्रों में कृषि विभाग की टीम भेजकर पुनर्वास और बीज सहायता की योजना जल्द से जल्द शुरू की जाए। उन्होंने कहा, “किसानों की स्थिति बहुत गंभीर है, और उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है। अगर समय पर मदद नहीं मिली, तो यह स्थिति और बिगड़ सकती है।”
किसानों ने चक्रवात के बाद हुई बर्बादी को लेकर अपनी आवाज उठाई है। उन्हें चिंता है कि उनकी मेहनत का फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के बाद वे कैसे अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की आपदाएं किसानों के लिए एक गंभीर चुनौती होती हैं और इसके प्रभाव को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
कृषि विभाग की भूमिका और भविष्य की योजनाएं
कृषि विभाग को इस प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए। विशेषज्ञों का सुझाव है कि विभाग को फसल बीमा योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए ताकि किसान प्राकृतिक आपदाओं के समय सुरक्षित रह सकें। इसके अलावा, सरकार को किसान सहायता योजनाओं में सुधार करने की आवश्यकता है ताकि जरूरतमंद किसानों को समय पर राहत मिल सके।
- किसानों को फसल बीमा के तहत बेहतर सुरक्षा मिलनी चाहिए।
- प्रशासन को हर साल फसल क्षति का सर्वेक्षण करना चाहिए।
- किसानों को समय पर मुआवजा और बीज सहायता उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, यह आवश्यक है कि झारखंड सरकार और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लें और प्रभावित किसानों की मदद के लिए ठोस कदम उठाएं। चक्रवात ‘मोंथा’ ने जो तबाही मचाई है, उसके प्रभाव को कम करने के लिए सभी संबंधित विभागों को एकजुट होकर काम करना होगा।
इस आपदा ने न केवल किसानों के जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि इससे राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी बिगड़ सकती है। इसलिए, अब समय है कि सभी stakeholders इस दिशा में तेजी से कदम उठाएं और प्रभावित किसानों की सहायता करें।




















