चाईबासा में कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव: श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर झारखंड के चाईबासा और पश्चिमी सिंहभूम जिले के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की एक विशाल भीड़ देखी गई। सुबह से ही भक्तों ने नदियों और तालाबों के घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई, पूजा-अर्चना की और दान-पुण्य किया। हिन्दू धर्म में इस दिन स्नान का विशेष महत्व है, जिसे श्रद्धालु बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
विशेष घाटों पर श्रद्धालुओं की तादाद
चाईबासा के खैरबनी, कपगाडी और कोल्हान नदी के किनारे स्थित घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। इसके अलावा, चक्रधरपुर के खटंगा नदी घाट के साथ-साथ मंझारी, तांतनगर और गुवा क्षेत्रों में भी धार्मिक उत्साह चरम पर रहा। श्रद्धालुओं ने त्रिपुटी स्नान की परंपरा निभाई और दीपदान कर भगवान की आराधना की। यह एक ऐसा दिन है जब भक्त अपनी आस्था को व्यक्त करने के लिए नदियों में स्नान करते हैं और अपने पापों की क्षमा मांगते हैं।
भक्तों द्वारा की गई पूजा और दान
मंदिरों में भजन-कीर्तन और आरती का आयोजन भी किया गया। स्नान के बाद भक्तों ने तुलसी के पौधे को जल अर्पित कर पूजा-पाठ किया। कई श्रद्धालुओं ने गरीबों को भोजन, वस्त्र और अन्नदान कर पुण्य अर्जित किया। ये सभी कार्य न केवल धार्मिक भावना को दर्शाते हैं, बल्कि समाज के प्रति संवेदनशीलता को भी दर्शाते हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। सभी प्रमुख घाटों पर पुलिस बल तैनात रहा। इसके अलावा, नाविकों और आपदा प्रबंधन टीम को भी सतर्कता के तौर पर तैनात किया गया था। यह सुनिश्चित किया गया कि कोई अप्रिय घटना न घटे और श्रद्धालुओं की सुरक्षा पूर्ण रूप से सुनिश्चित हो सके।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे “दिवाली के बाद का पूर्णिमा” भी कहा जाता है। इस दिन को लोग अपने पापों का प्रायश्चित करने और पुण्य अर्जित करने के लिए स्नान करते हैं। इसके अलावा, इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। इस दिन स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है।
सामाजिक समर्पण और सहयोग
इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने भी एकजुटता का परिचय देते हुए सामूहिक रूप से दान-पुण्य का कार्य किया। कई संगठनों और समाजसेवियों ने मिलकर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का निर्णय लिया। इस प्रकार के कार्य समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देते हैं।
निष्कर्ष
कार्तिक पूर्णिमा का यह अवसर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक समर्पण एवं सहयोग की भावना को भी उजागर करता है। भक्तों की भीड़ और उनके उत्साह ने यह साबित कर दिया कि आस्था और विश्वास आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। प्रशासन के द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों ने भी इस उत्सव को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


















