चतरा में आवारा पशुओं की मौत: एक गंभीर समस्या
झारखंड के चतरा जिले में आवारा पशुओं की मौत एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठन प्रयासरत हैं, लेकिन स्थिति में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। हर कुछ दिन में कहीं न कहीं सड़कों पर वाहनों के द्वारा कुचले जाने से पशुओं की मौत की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या गायों की है, जो सड़क पर घूमती रहती हैं।
कोल वाहनों का खतरा
स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये घटनाएँ मुख्यतः कोल वाहनों की तेज गति के कारण होती हैं। चतरा शहर में रात्रि नौ बजे के बाद नो इंट्री खुलने के बाद से कोल वाहनों का परिचालन बढ़ जाता है। रातभर कोयला लदे ट्रक और हाइवा चालक इतनी तेज गति से चलते हैं कि वे सड़क पर बैठे आवारा पशुओं को देख नहीं पाते हैं। इस कारण कई बार पशु दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।
गौरक्षा दल की पहल
हिंदू राष्ट्र संघ के नगर अध्यक्ष और गौरक्षा दल के अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछले एक महीने में **15 गायों** की मौत कोल वाहनों की चपेट में आने से हुई है। पिछले एक वर्ष में, यह संख्या **50** से अधिक हो गई है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, गौरक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने शहर में **500** से अधिक आवारा पशुओं के गले में रेडियम पट्टा बांधने का कार्य किया है। यह कदम पशुओं को सड़क पर दुर्घटनाओं से बचाने के लिए उठाया गया है, हालांकि यह पूरी तरह से प्रभावी साबित नहीं हो रहा है।
जिला पशुपालन पदाधिकारी का बयान
चतरा के जिला पशुपालन पदाधिकारी मो जमालुद्दीन ने इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वाहन दुर्घटनाओं में पशुओं की मौत चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पशुपालक भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि कई बार गायें दूध देना बंद कर देती हैं, जिससे लोग उन्हें खुला छोड़ देते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अपने पशुओं को खुला न छोड़ें, ताकि सड़क पर उनकी जान को खतरा न हो।
आवारा पशुओं के लिए स्थायी समाधान
मो जमालुद्दीन ने बताया कि आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए चतरा में **दो कानी हाउद** बनाने के लिए प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है। यदि ये हाउद बन जाते हैं, तो आवारा पशुओं को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाएगी। इससे न केवल पशुओं की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
समाज का सहयोग आवश्यक
इस समस्या के समाधान के लिए समाज का सहयोग भी अत्यंत आवश्यक है। लोगों को चाहिए कि वे अपने पशुओं की देखभाल करें और उन्हें खुला न छोड़ें। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर सभी मिलकर प्रयास करें, तो इस समस्या का समाधान संभव है।
चतरा में आवारा पशुओं की मौत की बढ़ती घटनाएँ न केवल पशुओं के लिए बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए सभी को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है, ताकि आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं में कमी लाई जा सके।




















