झारखंड में एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला: स्वास्थ्य तंत्र पर उठे सवाल
झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में पांच थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला बेहद चिंताजनक स्थिति को उजागर करता है। इस घटना ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस संबंध में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के पूर्वी क्षेत्र कोलकाता द्वारा झारखंड के ड्रग डायरेक्टर को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें इस मामले की जांच के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई है।
सूत्रों के अनुसार, सदर अस्पताल के ब्लड सेंटर में पांच साल पहले भी गंभीर अनियमितताएं पाई गई थीं, लेकिन इसके बावजूद इसमें सुधार नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि इस ब्लड सेंटर में चिकित्सा विशेषज्ञ की अनुपस्थिति और अन्य खामियों के चलते यह घटना घटी। स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही न केवल पीड़ित बच्चों के लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है।
ब्लड सेंटर में पाई गईं गंभीर खामियां
झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड सेंटर में हुई जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस ब्लड सेंटर को बिना पूर्णकालिक मेडिकल ऑफिसर के संचालित किया जा रहा था। इसके अलावा, इसे अनधिकृत भवन में स्थानांतरित किया गया था, जो स्वास्थ्य मानकों के विपरीत है। यहाँ की कुल क्षेत्रफल केवल 66.64 वर्गमीटर था, जबकि मानक के अनुसार इसे 300 वर्गमीटर से अधिक होना चाहिए था।
जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उपकरणों की कैलिब्रेशन नहीं की गई थी और रिकॉर्ड का रखरखाव बेहद कमजोर था। लाइसेंस रिनुअल के लिए निर्धारित शुल्क समय पर जमा नहीं किए गए थे। इन सबके अलावा भी कई अन्य खामियां पाई गई थीं, जिनकी वजह से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
निरीक्षण टीम की अनुशंसाएँ
इस मामले में निरीक्षण टीम ने कुछ महत्वपूर्ण अनुशंसाएँ की हैं, जो स्वास्थ्य तंत्र की स्थिति में सुधार लाने के लिए आवश्यक हैं। इन अनुशंसाओं में शामिल हैं:
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 122 (O) के तहत उचित कार्रवाई तुरंत शुरू की जाए।
- ब्लड सेंटर के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी सीडीएससीओ ईस्ट जोन कोलकाता को दी जाए।
- सुरक्षित रक्त संक्रमण मानकों को सुनिश्चित किया जाए।
ब्लड बैंक संचालन के लिए निर्धारित मानक
ब्लड बैंक के संचालन के लिए कुछ आवश्यक मानक निर्धारित किए गए हैं, जो स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं:
- ब्लड बैंक को राज्य ड्रग कंट्रोलर द्वारा लाइसेंस प्राप्त होना आवश्यक है। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के अनुरूप होना चाहिए।
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन ऑफिसर या समकक्ष पद पर किसी योग्य चिकित्सक की नियुक्ति अनिवार्य है।
- ब्लड बैंक की संचालित इकाई के लिए न्यूनतम क्षेत्र, स्वच्छ और नियंत्रित वातावरण होना चाहिए।
- सभी रक्तदाताओं की अनिवार्य स्क्रीनिंग की जानी चाहिए, जिसमें एचआईवी, हैपेटाइटिस बी व सी, सिफिलिस, मलेरिया आदि शामिल हैं।
- रिकॉर्ड रखना, नियमित आंतरिक निरीक्षण और सुधारात्मक कार्रवाई करना आवश्यक है।
निरीक्षण में मिली खामियाँ
निरीक्षण के दौरान, निम्नलिखित खामियां उजागर हुईं, जो स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर स्थिति को दर्शाती हैं:
- पूर्णकालिक मेडिकल ऑफिसर की अनुपस्थिति।
- ब्लड सेंटर का बिना अनुमति नए परिसर में शिफ्ट होना।
- परिसर का क्षेत्रफल अपर्याप्त होना (66.64 वर्गमीटर)।
- उपकरणों का कैलिब्रेशन न होना।
- रिकॉर्ड समय पर जमा न करना।
- अस्वच्छ वातावरण और तकनीकी दक्षता की कमी।
इस प्रकार के मामलों से यह स्पष्ट होता है कि झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है। यदि स्वास्थ्य विभाग ने शीघ्रता से कदम नहीं उठाए, तो इससे न केवल बच्चों की स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि समाज के अन्य वर्गों में भी चिंता और भय का माहौल बनेगा। राज्य सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इस मामले पर सरकार की प्रतिक्रिया और आवश्यक कदम उठाने की दिशा में क्या प्रगति होती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।






















