झारखंड: त्रिपुरा के किसानों के लिए कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
अनुसंधान केंद्र प्लांडु में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें त्रिपुरा के किसानों के लिए “कृषक समृद्धि के लिए बागवानी की उन्नत तकनीकें” विषय पर पांच दिवसीय कृषि प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। इस प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए त्रिपुरा से कुल 25 किसान रांची आए हैं। यह कार्यक्रम बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली बागवानी तकनीकों से अवगत कराना है।
कृषि प्रशिक्षण का उद्घाटन करते हुए केंद्र के प्रधान डॉ. अवनि कुमार सिंह ने कहा कि व्यावहारिक और प्रत्यक्ष प्रशिक्षण किसानों के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है। उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित किया कि वे इस प्रशिक्षण का पूरा लाभ उठाएं और अपने कृषि कौशल को विकसित करें। कुलपति डॉ. सुनील चंद्र दुबे ने किसानों को सही रोपण सामग्री के चयन के महत्व पर जोर दिया और उन्हें यह भी सिखाने की आवश्यकता बताई कि वे स्वयं अपने लिए रोपण सामग्री का निर्माण कैसे कर सकते हैं।
कृषि तकनीकों के उत्पादन और प्रसंस्करण पर जोर
डॉ. सुनील चंद्र दुबे ने आगे कहा कि खेती में सफलता के लिए केवल बागवानी उत्पादों का उत्पादन करना ही नहीं, बल्कि उनके तुड़ाई उपरांत भंडारण एवं प्रसंस्करण की विधियों में भी दक्षता हासिल करना आवश्यक है। इस प्रशिक्षण में किसानों को न केवल बागवानी के बेसिक कौशल सिखाए जाएंगे, बल्कि उन्हें यह भी बताया जाएगा कि कैसे वे अपने उत्पादों को बाजार में बेहतर तरीके से बेच सकते हैं।
फसल उत्पादन के विशेषज्ञ डॉ. महेश कुमार धाकड़ ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित होगा। उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान दी जाने वाली तकनीकों और विधियों पर भी प्रकाश डाला। प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. संतोष एस. माली ने केंद्र की उपलब्धियों और गतिविधियों पर आधारित एक प्रस्तुतीकरण भी दिया, जिसमें अनुसंधान केंद्र की विभिन्न पहलुओं को साझा किया गया।
किसानों की भागीदारी और ज्ञानवर्धन
इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों और जानकारी से अवगत कराना है, जिससे वे अपनी कृषि उत्पादकता को बढ़ा सकें। प्रशिक्षण में भाग लेने वाले किसानों को न केवल बागवानी की उन्नत तकनीकें सिखाई जाएंगी, बल्कि उन्हें नई कृषि विधियों, बीज प्रबंधन और फसल सुरक्षा के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
- प्रशिक्षण का उद्देश्य: किसानों को उन्नत बागवानी तकनीकों से अवगत कराना।
- किसानों की संख्या: कुल 25 किसान त्रिपुरा से आए हैं।
- केंद्र की उपलब्धियाँ: कृषि अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान।
- प्रशिक्षण अवधि: पांच दिन।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर किसानों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे, जो उनकी मेहनत और नई सीखी गई तकनीकों के लिए एक पहचान बनेंगे। इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल किसानों का व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि इससे क्षेत्रीय कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होगी, जिससे अंततः देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
इस कार्यक्रम के धन्यवाद ज्ञापन में सब्जी वैज्ञानिक डॉ. मीनू ने सभी का आभार व्यक्त किया और संचालन राजभाषा अधिकारी अणिमा प्रभा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी का धन्यवाद किया। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किसानों के समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह उन्हें नए अवसरों का लाभ उठाने में मदद करता है।


















