हरियाणा में दहेज प्रथा के खिलाफ अनोखी मिसाल
संवाद सूत्र, रतिया। हरियाणा के उपमंडल रतिया में एक विवाह ने दहेज प्रथा के खिलाफ एक अनोखी मिसाल पेश की है। इस विवाह में दहेज के स्थान पर पर्यावरण संरक्षण और सादगी का संदेश दिया गया, जो समाज में एक नई दिशा दिखाने का काम करेगा।
रतिया के प्रमुख व्यक्ति एवं भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य सुनील इन्दौरा ने अपनी बेटी अंजना रानी का विवाह यमुनानगर निवासी कमल सिंह खटक के साथ सम्पन्न कराया। इस विवाह की खास बात यह थी कि जब दहेज की बात आई, तो लड़के के परिवार ने केवल एक रुपया और पांच पेड़-पौधे दहेज के रूप में मांगे।
दहेज के स्थान पर पेड़-पौधे
कमल सिंह खटक, जो एक एमटेक डिग्रीधारक हैं और हनीवेल कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं, ने अपने परिवार के साथ मिलकर इस विवाह को सार्थक बनाने का निर्णय लिया। लड़के के परिवार ने स्पष्ट किया कि दहेज की परंपरा को निभाने के लिए वे केवल एक रुपया और पांच पौधे ही स्वीकार करेंगे।
इस अनोखी परंपरा के तहत, दोनों परिवारों ने मिलकर पीपल, बरगद, नीम, अमरूद और अंजीर के पौधों को दहेज के प्रतीक के रूप में ग्रहण किया। यह पहल न केवल दहेज प्रथा के खिलाफ एक सशक्त संदेश है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक कदम है।
सादगी से सम्पन्न विवाह समारोह
अंजना रानी, जो एक MCA हैं, और कमल सिंह के विवाह समारोह को रतिया में बहुत ही सादगीपूर्ण तरीके से आयोजित किया गया। इस समारोह में कन्यादान केवल एक रुपया और पांच पेड़-पौधों के साथ किया गया। सुनील इन्दौरा ने इस अवसर पर कहा कि समाज को रूढ़िवादी परंपराओं से मुक्त कराने के लिए ऐसे उदाहरण बहुत आवश्यक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि “जब तक लड़के वाले दहेज लेना बंद नहीं करेंगे, तब तक दहेज प्रथा खत्म नहीं होगी।” यह विवाह एक प्रेरणा है कि कैसे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
समाज पर प्रभाव
इस विवाह से यह संदेश भी गया है कि दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए समाज के हर व्यक्ति को आगे आना होगा। विवाह जैसी शुभ अवसरों पर दहेज का मांग करना समाज में एक नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे में, जब लोग इस परंपरा को छोड़कर पर्यावरण और सादगी की ओर बढ़ेंगे, तो निश्चित ही समाज में एक नई जागरूकता आएगी।
- दहेज के स्थान पर पेड़-पौधों का चयन
- सादगीपूर्ण विवाह समारोह का आयोजन
- समाज में बदलाव की आवश्यकता
- पर्यावरण संरक्षण का महत्व
इस विवाह ने यह साबित कर दिया है कि दहेज प्रथा के खिलाफ उठने वाली आवाजें अब केवल एक सपना नहीं हैं, बल्कि यह एक हकीकत है। सुनील इन्दौरा और उनके परिवार ने दिखाया है कि यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो समाज में बदलाव संभव है। इस तरह के उदाहरण न केवल हरियाणा, बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।
इस अनोखे विवाह ने यह भी दिखाया है कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए केवल विचारों में बदलाव की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन विचारों को व्यवहार में लाने का साहस भी होना चाहिए। ऐसे ही प्रयासों से हम दहेज प्रथा और अन्य सामाजिक बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं।























