Military News: हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पत्नी को मिलेगा विशेष पेंशन

kapil6294
Nov 02, 2025, 4:21 AM IST

सारांश

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: सैनिकों के परिवारों को मिलेगा विशेष पेंशन दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है कि यदि किसी सैनिक की मृत्यु का कारण रिकॉर्ड में नहीं है, लेकिन वह बीमारी सेवा के दौरान उत्पन्न हुई या इसी अवधि में बढ़ी है, […]

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: सैनिकों के परिवारों को मिलेगा विशेष पेंशन

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है कि यदि किसी सैनिक की मृत्यु का कारण रिकॉर्ड में नहीं है, लेकिन वह बीमारी सेवा के दौरान उत्पन्न हुई या इसी अवधि में बढ़ी है, तो इसे सैन्य सेवा से संबंधित माना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सैनिक के परिवार को विशेष पारिवारिक पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह निर्णय न केवल एक सैनिक के परिवार को राहत प्रदान करेगा बल्कि भविष्य में समान मामलों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।

यह मामला भारतीय सेना के जवान पवन कुमार से जुड़ा है, जो 31 राष्ट्रीय राइफल्स (स्पेशल फोर्स) में तैनात थे। पवन कुमार 26 अप्रैल 2003 को अचानक अस्वस्थ हो गए और उन्हें उधमपुर के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया। लगभग एक माह के इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई, लेकिन कुछ ही समय बाद उनकी तबीयत फिर से बिगड़ गई। उन्हें पालमपुर के नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 4 सितंबर 2003 को उनका निधन हो गया।

सैनिक की पत्नी की संघर्ष की कहानी

सैनिक की पत्नी, सुमन कुमारी ने विशेष पारिवारिक पेंशन की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने अर्जी खारिज कर दी, यह कहते हुए कि बीमारी और मृत्यु का सेवा से कोई संबंध नहीं है। इस निर्णय से निराश होकर सुमन ने चंडीगढ़ स्थित सशस्त्र बल अधिकरण में अपील दायर की।

इस मामले में ट्रिब्यूनल ने 26 अगस्त 2022 को सुमन कुमारी के पक्ष में निर्णय दिया और केंद्र को विशेष पारिवारिक पेंशन देने का आदेश दिया। हालांकि, केंद्र ने इस आदेश को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिससे मामला फिर से अदालत में पहुंच गया।

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अदालत का फैसला: सैनिक की सेवा का महत्व

जस्टिस हरसिमरण सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सैनिक को सेना ने स्वयं इलाज के लिए अस्पताल भेजा था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह सेवा के दौरान बीमार पड़ा। अदालत ने यह भी कहा कि जब कोई सैनिक सेवा के दौरान बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होता है और कुछ ही महीनों बाद उसकी मृत्यु हो जाती है, तो यह मानना उचित है कि उसकी मृत्यु सैन्य सेवा से संबंधित है।

अदालत ने इस मामले में यह भी स्पष्ट किया कि पेंशन का अधिकार एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे विलंब के आधार पर नकारा नहीं जा सकता। इस निर्णय ने न केवल सुमन कुमारी के लिए न्याय का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि सभी सैनिक परिवारों के लिए एक सकारात्मक संदेश भी दिया है कि उनकी सेवा और बलिदान को उचित सम्मान दिया जाएगा।

भविष्य में सैनिक परिवारों के लिए उम्मीद

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के इस निर्णय ने उन सभी परिवारों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है, जो अपने प्रियजनों की सेवा के दौरान हुई बीमारियों के चलते पेंशन से वंचित रह गए थे। यह निर्णय न केवल एक कानूनी जीत है, बल्कि सभी सैनिकों की सेवा और बलिदान को मान्यता देने का एक प्रयास भी है। अब उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस निर्णय के अनुरूप सभी सैनिक परिवारों के मामलों को गंभीरता से लेगी और उनके अधिकारों की रक्षा करेगी।

इस प्रकार, यह मामला केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सैनिकों के परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहचान और सम्मान का प्रतीक बन गया है। अदालत के इस निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि सेवा के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या या बीमारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और यह कि सैनिकों के परिवारों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।

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