हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में सिख दंगा पीड़ितों को नौकरी देने की मंजूरी
राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा मंत्रिमंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक सोमवार को हुई, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने ऐतिहासिक घोषणा की। इस बैठक में 1984 के सिख दंगा पीड़ित परिवारों के प्रत्येक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया। यह कदम उन परिवारों के लिए एक नई उम्मीद की किरण साबित होगा, जिन्होंने वर्षों तक इस दुखद घटना का सामना किया है।
मंत्रिमंडल की बैठक में यह तय किया गया कि सिख दंगा पीड़ित परिवारों के सभी सदस्यों को हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से नौकरियां प्रदान की जाएंगी। यह फैसला न केवल पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दर्शाता है, बल्कि यह उनके पुनर्वास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, उन परिवारों के आश्रितों को भी नौकरी देने का निर्णय लिया गया है जिनके सदस्य दंगों के दौरान राज्य से बाहर मारे गए थे। यह निर्णय उन निराश परिवारों के लिए राहत का काम करेगा, जो वर्षों से न्याय की तलाश में थे।
हरियाणा सरकार की नई नीति में संशोधन
हरियाणा सरकार ने 2022 में लागू की गई अपनी नीति में संशोधन किया है ताकि सिख दंगा पीड़ितों को नौकरी देने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पहले भी 25 अगस्त को हरियाणा विधानसभा में इस संबंध में घोषणा की थी। इस संशोधित नीति में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है, जिसके अनुसार दंगा पीड़ितों के परिवारों के “सर्वसम्मति से चयन किए गए” एक सदस्य का नाम हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से उपयुक्त नौकरी के लिए विचार किया जाएगा। यह चयन निगम द्वारा निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और पात्रता मानदंडों पर निर्भर करेगा।
- दंगा पीड़ित परिवारों के सदस्यों को लेवल-I, II या III कैटेगरी में नौकरी मिलेगी।
- यदि किसी विभाग में सभी पद भरे हैं, तो पात्र व्यक्ति को अन्य विभाग में समायोजित किया जाएगा।
- इन कर्मचारियों को 58 वर्ष की आयु तक नौकरी से नहीं हटाया जाएगा।
यह नीति न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए भी एक सुरक्षा कवच का काम करेगी, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। हरियाणा सरकार का यह कदम एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में भी देखा जा सकता है, जो उन परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
सिख दंगा पीड़ितों के लिए यह कदम क्यों है महत्वपूर्ण?
1984 के सिख दंगों ने न केवल सिख समुदाय को प्रभावित किया, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक काला अध्याय रहा है। इस दंगे में हजारों निर्दोष लोगों की जान गई, और अनेक परिवारों को जीवनभर के लिए मानसिक और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में हरियाणा सरकार का यह निर्णय उन परिवारों को एक नई दिशा देने का काम करेगा।
सरकार की ओर से दी जा रही यह सहायता न केवल पीड़ित परिवारों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि यह समाज में एक सकारात्मक संदेश भी भेजेगी कि सरकार ऐसे मामलों में संवेदनशील है और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध है। इस नीति के तहत, हरियाणा कौशल रोजगार निगम सक्रिय रूप से काम करेगा ताकि दंगा पीड़ित परिवारों के सदस्य विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी सेवाएं दे सकें।
निष्कर्ष
हरियाणा मंत्रिमंडल की यह बैठक और इसके परिणामस्वरूप लिए गए निर्णय ने सिख दंगा पीड़ितों के लिए एक नई उम्मीद का संचार किया है। यह न केवल उनके लिए रोजगार का अवसर है, बल्कि यह उनके प्रति समाज की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। हरियाणा सरकार का यह कदम निश्चित रूप से एक सकारात्मक बदलाव की ओर बढ़ता हुआ कदम है, जो न केवल पीड़ित परिवारों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।
हरियाणा सरकार के इस प्रयास का स्वागत करते हुए उम्मीद की जा सकती है कि अन्य राज्य भी इस तरह के कदम उठाएंगे और पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए ठोस नीतियां बनाएंगे।























