हरियाणा में बढ़ता वायु प्रदूषण: स्माग की गंभीर स्थिति
जागरण संवाददाता, हिसार। हरियाणा प्रदेश इस समय वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि प्रदेश धीरे-धीरे एक गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। शनिवार को प्रदेश के 15 जिलों में वायु गुणवत्ता का स्तर बहुत ही खराब रहा। स्माग के कारण सुबह से ही सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, इस स्माग का असर स्वस्थ व्यक्तियों की आंखों पर भी दिखाई दे रहा है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो आंखों की रोशनी पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
शनिवार को पूरे दिन स्माग के प्रभाव के चलते रोहतक का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) सबसे अधिक 389 तक पहुंच गया। दूसरी ओर, सिरसा में हवा की गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर रही, जहां एक्यूआइ 83 दर्ज किया गया। मौसम में बदलाव के साथ स्माग का फैलाव बढ़ रहा है, विशेषकर दिल्ली एनसीआर से लगते जिलों में। भिवानी और चरखी दादरी में चल रही माइनिंग गतिविधियों का भी इस प्रदूषण में योगदान है।
स्माग का स्वास्थ्य पर प्रभाव
इन गंभीर परिस्थितियों के चलते, शनिवार को 15 जिलों में स्माग का एक्यूआइ 200 से ऊपर रहा। इनमें से छह जिलों की हवा बहुत खराब श्रेणी में और बाकी जिलों की हवा खराब श्रेणी में आ गई। यह स्थिति विशेष रूप से आम स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
हिसार में भी स्माग की स्थिति अत्यंत खराब रही। सुबह से ही स्माग छाया रहा, जिसके चलते बुजुर्गों और बच्चों को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के अनुसार, स्माग से आंखों के कार्निया पर प्रदूषण के कण जमा हो जाते हैं, जिससे आंखें लाल हो जाती हैं। यदि ये कण अधिक समय तक आंखों में बने रहते हैं, तो इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
हरियाणा में विभिन्न जिलों का एक्यूआइ
हरियाणा के विभिन्न जिलों में वायु गुणवत्ता के स्तर को दर्शाने वाला एक्यूआइ इस प्रकार है:
- रोहतक: 389
- चरखी दादरी: 375
- फतेहाबाद: 334
- जींद: 330
- कैथल: 324
- बल्लभगढ़: 319
- पानीपत: 287
- यमुनानगर: 281
- गुरुग्राम: 276
- कुरुक्षेत्र: 276
- करनाल: 251
- बहादुरगढ़: 254
- सोनीपत: 239
- नारनौल: 215
- हिसार: 206
- भिवानी: 114
- फरीदाबाद: 196
- मानेसर: 160
- पलवल: 120
- पंचकूला: 196
- सिरसा: 83
हरियाणा में बढ़ते वायु प्रदूषण के इस संकट को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। प्रशासन और नागरिकों को मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यदि हम समय रहते इस दिशा में कार्य नहीं करेंगे, तो परिणाम और भी भयानक हो सकते हैं।























