केरल राज्य फिल्म पुरस्कार 2025 में विवाद के बाद दिव्यांदा जिबिन का बयान
केरल राज्य फिल्म पुरस्कार 2025 की घोषणा के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस बार बच्चों की फिल्म और बाल कलाकार श्रेणी में कोई पुरस्कार नहीं दिए गए। इस मुद्दे पर बाल कलाकार दिव्यांदा जिबिन ने साहसिक रूप से जूरी के अध्यक्ष प्रकाश राज को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से चुनौती दी।
दिव्यांदा का प्रकाश राज पर आरोप
दिव्यांदा ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो साझा किया जिसमें प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश राज के टिप्पणियों को और उनकी 2024 की फिल्म गु के क्लिप्स को मिला कर दिखाया गया है। यह फिल्म मनु राधाकृष्णन द्वारा निर्देशित है और इसमें सैजु कुरुप भी हैं।
दिव्यांदा का सटीक संदेश
अपनी पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने लिखा, “आप बच्चों की आँखें बंद कर सकते हैं, लेकिन यह मत कहिए कि यहाँ सब कुछ अंधेरा है। बच्चे भी इस समाज का हिस्सा हैं, जूरी ने 2024 के मलयालम फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के साथ नई पीढ़ी के प्रति अपनी आँखें बंद कर लीं।”
मलयालम फिल्म उद्योग के समर्थन में आवाजें
दिव्यांदा के शब्द तेजी से वायरल हो गए हैं और मलयालम फिल्म उद्योग के कई लोगों ने, जैसे कि फिल्म निर्माता विनेश विश्वनाथ और अभिनेता आनंद मनमाधन, उनके बयान का समर्थन किया है।
प्रकाश राज का विवादास्पद बयान
दिव्यांदा का यह पोस्ट प्रकाश राज के उस बयान के तुरंत बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस वर्ष की कोई भी प्रविष्टि पुरस्कार के लिए योग्य नहीं थी।
बच्चों की फिल्म श्रेणी में पुरस्कार न देना
आधिकारिक घोषणा के दौरान, प्रकाश राज ने बताया कि बच्चों की फिल्म श्रेणी के लिए छह फिल्में प्रस्तुत की गई थीं, लेकिन जूरी ने एकमत से यह निर्णय लिया कि इनमें से कोई भी मान्यता के मानकों को पूरा नहीं करती थी।
दिव्यांदा जिबिन का परिचय
दिव्यांदा जिबिन एक युवा भारतीय अभिनेत्री हैं जो केरल से हैं। उन्हें मलयालम फिल्म मालिकापुरम में कल्याणी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 2019 में फिल्म थोट्टप्पन से की थी और इसके बाद साइमन डैनियल और अरनमेनाई 4 में भी काम किया। उनका जन्म 25 जुलाई 2013 को हुआ था। उनके पिता, जिबिन, एक व्यवसायी हैं।
समाज में बच्चों का योगदान
दिव्यांदा के बयान ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या बच्चों की कला और उनके प्रयासों को सही मान्यता मिलनी चाहिए या नहीं। बच्चों की फिल्मों में उनके अनुभव और प्रतिभा को नकारना किसी भी समाज के लिए सही नहीं है। उनके जैसे युवा कलाकार समाज की कला और संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष
दिव्यांदा जिबिन का यह साहसिक कदम यह दर्शाता है कि युवा कलाकार भी अपनी आवाज़ उठाने के लिए तैयार हैं। उनके द्वारा उठाया गया मुद्दा एक महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा बन गया है। क्या हमें बच्चों की कला और उनके प्रयासों को मान्यता देनी चाहिए? यह सवाल अब समाज के सामने है।


























