छठ पर्व: परंपरा और भक्ति का अनूठा संगम
दिल्ली एनसीआर में छठ पर्व का आगाज हो चुका है, जहाँ पूरे झारखंड में भक्ति और उत्साह का माहौल छाया हुआ है। इस अवसर पर, हजारीबाग के कटकमदाग थाना क्षेत्र की मसरातु पंचायत से एक प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला है। यहाँ पंचायत समिति सदस्य मंजू देवी अपनी नई नवेली बहू जूली सिंह को छठ पर्व की परंपराओं से अवगत करा रही हैं। यह दृश्य पारिवारिक संस्कारों और सनातन परंपराओं को नई पीढ़ी में हस्तांतरित करने का एक महत्वपूर्ण संदेश प्रस्तुत करता है।
मंजू देवी का प्रेरणादायक दृष्टिकोण
मंजू देवी ने कई वर्षों से छठ पर्व का आयोजन किया है। उनका मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ यह जिम्मेदारी नई पीढ़ी को सौंपने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, “जब तक शरीर में शक्ति रहेगी, मैं छठ करूंगी, लेकिन यदि कभी न कर सकी, तो यह परंपरा रुकनी नहीं चाहिए। इसलिए मैंने अपनी बहू को यह पर्व सिखाने का निश्चय किया है।” उनकी यह सोच निश्चित रूप से समाज में परंपराओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रही है।
जूली सिंह का नवविवाहित जीवन और छठ पर्व
नई बहू जूली सिंह के लिए शादी के तुरंत बाद छठ पर्व मनाने का अवसर मिलना एक विशेष सौभाग्य है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर नई विवाहिताएं पहले वर्ष व्रत नहीं करतीं, लेकिन उन्हें सास के सानिध्य में इस पर्व को सीखने और मनाने का अवसर मिला है। जूली ने आगे कहा कि दक्षिण भारत में धार्मिक परंपराओं के प्रति गहरी आस्था होती है। ऐसे में, उत्तर भारत की नई पीढ़ी को भी इन पर्वों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।
छठ गीतों की मधुर धुनें और पारिवारिक उत्सव
आज परिवार के सभी सदस्य ‘नहाय खाय’ की तैयारी में जुटे हैं। घर में छठ गीतों की मधुर धुन गूंज रही है, और पूरा वातावरण भक्ति से ओतप्रोत है। यह दृश्य केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि उन सभी परिवारों के लिए प्रेरणा है जो अपनी परंपराओं को नई पीढ़ी में जीवित रखना चाहते हैं।
छठ पर्व का महत्व और संदेश
छठ पर्व, जो सूर्य देवता और पृथ्वी माता की पूजा का प्रतीक है, हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान श्रद्धालु उपवास रखते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एकता, परिवारिक बंधनों और परंपराओं के संरक्षण का भी संदेश देता है।
इस पर्व के माध्यम से हम यह भी सीखते हैं कि पारिवारिक संस्कारों को नई पीढ़ी में कैसे हस्तांतरित किया जाए। मंजू देवी और जूली सिंह का यह प्रयास इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
निष्कर्ष
छठ पर्व एक ऐसा अवसर है, जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाता है, बल्कि परिवारों के बीच बातचीत और एकता को भी बढ़ावा देता है। इस पर्व के माध्यम से हम सभी को अपनी परंपराओं को संजोकर रखने और नई पीढ़ी को सिखाने की आवश्यकता है। इस प्रकार, छठ पर्व हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ों से जुड़े रहना कितना महत्वपूर्ण है।
इस पर्व की तैयारी और उत्सव के दौरान जो भक्ति और उत्साह का माहौल बनता है, वह निस्संदेह हमारे समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है। हमें चाहिए कि हम भी इस प्रकार की परंपराओं को बढ़ावा दें और उन्हें संरक्षित रखें।






















