गिरिडीह में मंत्री आवास के घेराव की तैयारी, प्रशासन हुआ अलर्ट
गिरिडीह में नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के निजी आवास के घेराव की घोषणा के बाद जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया है। झारखंड सहायक अध्यापक संघ ने स्थायीकरण और समान कार्य के लिए समान वेतनमान की मांग को लेकर बुधवार को मंत्री आवास का घेराव करने का ऐलान किया है। इस आंदोलन की तैयारी को देखते हुए प्रशासन ने संवेदनशीलता के साथ कदम उठाए हैं।
संभावित आंदोलन को लेकर मंगलवार शाम से ही प्रशासनिक तैयारियों की श्रृंखला शुरू हो गई। सदर अनुमंडल दंडाधिकारी श्रीकांत यशवंत बिसपुते ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, मंत्री आवास के 500 मीटर के दायरे में अगले 72 घंटों के लिए किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, धरना, प्रदर्शन या ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है।
सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाना
बुधवार की सुबह से ही गिरिडीह पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। मंत्री आवास की ओर जाने वाली सभी सड़कों को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया है। विभिन्न चौक-चौराहों पर बैरिकेडिंग कर पुलिस बल तैनात किया गया है और आने-जाने वाले वाहनों की सघन जांच की जा रही है। प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल और दंडाधिकारी नियुक्त किए हैं।
- मंत्री आवास के 500 मीटर के दायरे में सभा और धरना पर प्रतिबंध
- सभी सड़कों की बैरिकेडिंग और चेकिंग की जा रही है
- पुलिस बल और दंडाधिकारी की तैनाती की गई
इस बीच, गिरिडीह पहुंचने वाले झारखंड सहायक अध्यापक संघ के कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उन्हें शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से गिरिडीह स्टेडियम में रखा गया है। सदर एसडीएम श्रीकांत यशवंत बिसपुते और एसडीपीओ जीतवाहन उरांव पूरे हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। मंत्री आवास के आसपास के इलाकों में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और प्रशासन की प्रतिक्रिया
झारखंड सहायक अध्यापक संघ के प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग स्थायीकरण और समान वेतनमान की है। वे लंबे समय से इन मुद्दों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसलिए अब उन्होंने मंत्री आवास का घेराव करने का फैसला किया है। उनके इस आंदोलन से प्रशासन में हड़कंप मच गया है और उन्होंने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए हैं।
इस आंदोलन के पीछे का कारण शिक्षकों के साथ हो रही भेदभावपूर्ण नीति है। संघ का आरोप है कि उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा रहा है, जबकि अन्य विभागों के कर्मचारियों को ऐसा वेतन दिया जा रहा है। यह मुद्दा न केवल गिरिडीह बल्कि पूरे झारखंड में महत्वपूर्ण हो गया है। इसलिए संघ के सदस्य इस आंदोलन के जरिए अपनी आवाज को और बुलंद करना चाहते हैं।
समाज में बढ़ती असंतोष की भावना
गिरिडीह में शिक्षकों की स्थिति को लेकर असंतोष की भावना बढ़ती जा रही है। कई शिक्षकों का कहना है कि वे वर्षों से सेवा कर रहे हैं, फिर भी उन्हें स्थायी रोजगार का आश्वासन नहीं मिला है। ऐसे में उनका जीवन और भविष्य अनिश्चितता के शिकार बन गया है। उनके आंदोलन का समर्थन करने के लिए अन्य शिक्षक संघों ने भी अपनी एकजुटता दिखाई है।
प्रशासन को अब यह तय करना होगा कि वे इस मुद्दे को किस प्रकार हल करते हैं। क्या वे शिक्षकों की मांगों को स्वीकार करेंगे या फिर उन्हें बलात्कारी तरीके से दबाने का प्रयास करेंगे। आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, इसलिए प्रशासन को इस मामले में सतर्क रहना होगा।
गिरिडीह का यह मामला केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे झारखंड में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक वर्ग के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहचान बन सकता है। इसलिए सभी की नजरें इस आंदोलन और प्रशासन की प्रतिक्रिया पर टिकी हुई हैं।























