झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के प्रमोशन में गड़बड़ियां
झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने हाल ही में राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर को लेवल-11 में प्रमोशन देने की घोषणा की है, लेकिन इस निर्णय के बाद कई शिक्षकों में असंतोष की लहर दौड़ गई है। शिक्षकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रमोशन की सूची में कई त्रुटियों और विसंगतियों का पता चला है, जिससे शिक्षकों का मनोबल गिरने की संभावना है।
झारखंड यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (जुटान) के संयोजक डॉ. कंजीव लोचन ने कहा कि प्रमोशन लिस्ट में विभिन्न विषयों के कई शिक्षकों के नाम शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, प्रमोशन की वास्तविक तिथि (ड्यू डेट) से भी कई शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिला है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि लगभग **70 शिक्षकों** की प्रमोशन तिथि गलत तरीके से दर्ज की गई है।
शिक्षकों के मनोबल पर पड़ रहा है नकारात्मक प्रभाव
डॉ. लोचन ने कहा कि इस प्रकार की विसंगतियां शिक्षकों के मनोबल को तोड़ सकती हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (जुटान) राज्य स्थापना दिवस के बाद एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करेगा, जिसमें प्रमोशन में त्रुटियों के निवारण और प्रोन्नति नियमावली में संशोधन की मांग की जाएगी। अगर इन मुद्दों को हल नहीं किया गया, तो आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।
जुटान ने कहा कि प्रमोशन में गड़बड़ियों के कारण शिक्षकों में **गहरा रोष** व्याप्त है। अगर इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो संगठन ने आंदोलन की योजना बनाई है। इस तरह की स्थिति से शिक्षकों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है।
यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग को भी दी गई जानकारी
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के पत्र के अनुसार, जिन शिक्षकों ने **31 दिसंबर 2023** तक ओरिएंटेशन-रिफ्रेशर कोर्स पूरा कर लिया है, उन्हें भी ड्यू डेट से प्रमोशन नहीं दिया गया है। शिक्षकों ने उच्च शिक्षा विभाग को इस संबंध में पत्र भेजकर ध्यान आकर्षित कराया है।
- झारखंड यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (जुटान) ने प्रमोशन लिस्ट पर रोष जताते हुए कहा कि शिक्षकों ने सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए थे। इसके बाद भी दर्जनों शिक्षकों को प्रमोशन से वंचित रखा गया है। यदि दस्तावेज़ों की कमी है, तो संबंधित अभ्यर्थी से दस्तावेज़ मांगे जाने चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर ध्यान देना चाहिए।
- इसके साथ ही, झारखंड यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन ने उन **58 शिक्षकों** की प्रोन्नति रोकने पर भी आपत्ति जताई है, जिनके मामले सीबीआई जांच के अधीन हैं। संगठन ने सवाल उठाया कि जब जेपीएससी-1 और जेपीएससी-2 के अधिकारियों को सीबीआई जांच के बाद प्रमोशन दिया गया, तो शिक्षकों को क्यों वंचित रखा गया है।
शिक्षकों की मांगों पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता
झारखंड के शिक्षकों की यह समस्या केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक है। प्रमोशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आवश्यक है। शिक्षकों का मानना है कि यदि इस मामले में उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इससे शिक्षा के क्षेत्र में और भी अधिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और शिक्षकों की मांगों पर ध्यान दे। यदि शिक्षकों के मनोबल को बनाए रखना है, तो उन्हें उचित प्रमोशन और मान्यता देना आवश्यक है। शिक्षकों के संघर्ष और उनकी आवाज़ को सुनना बेहद जरूरी है, ताकि शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता बनी रहे।






















