Money Laundering: पूजा सिंघल कोर्ट में हुई पेशी, यूपी में हलचल

सारांश

मनरेगा घोटाले में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की पेशी दिल्ली एनसीआर में मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और अन्य दो आरोपियों ने मंगलवार को पीएमएलए कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मामले में आरोपियों पर गंभीर आरोप लगाने के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग के विभिन्न पहलुओं की जांच […]

kapil6294
Nov 05, 2025, 7:10 AM IST

मनरेगा घोटाले में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की पेशी

दिल्ली एनसीआर में मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और अन्य दो आरोपियों ने मंगलवार को पीएमएलए कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मामले में आरोपियों पर गंभीर आरोप लगाने के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग के विभिन्न पहलुओं की जांच की जा रही है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं का पता चला, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

इस मामले में जेल में बंद अभियंता शशि प्रकाश को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया। अदालत में पेशी के दौरान सभी आरोपियों ने अपने-अपने पक्ष रखे। इस घोटाले में कई सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की संलिप्तता की जांच की जा रही है, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है।

अदालत में याचिका पर सुनवाई

अदालत में याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल अविश्वसनीय दस्तावेज की मांग वाली याचिका पर आंशिक बहस हुई। यह दस्तावेज़ मामले की गंभीरता को बढ़ाते हैं और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों को चुनौती देते हैं। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सभी पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर दिया।

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर निर्धारित की है। इस सुनवाई में सभी आरोपियों को फिर से पेश होने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा कि यह मामला न केवल नियमों का उल्लंघन करता है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं के प्रति जनता के विश्वास को भी हिला देता है। ऐसे मामलों में न्याय प्रदान करना बेहद आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोका जा सके।

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मनरेगा घोटाले का महत्व और प्रभाव

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) एक महत्वपूर्ण सरकारी योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना है। इस योजना के तहत ग्रामीणों को न्यूनतम 100 दिन का काम सुनिश्चित किया जाता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। लेकिन जब इस योजना में भ्रष्टाचार जैसी गतिविधियों का पर्दाफाश होता है, तो इससे न केवल सरकार की छवि पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि लाखों लोगों की आजीविका भी प्रभावित होती है।

इस घोटाले के उजागर होने से यह भी स्पष्ट होता है कि कैसे कुछ अधिकारी और कर्मचारी व्यक्तिगत लाभ के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी तंत्र इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोकने में सक्षम है या नहीं।

भविष्य की संभावनाएं

इस मामले की सुनवाई के दौरान यह देखना होगा कि न्यायालय किस प्रकार का निर्णय सुनाता है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो इससे न केवल आरोपियों को सजा मिलेगी, बल्कि यह अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी का काम करेगा। इससे यह भी उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस तरह के मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

मनरेगा घोटाले जैसे मामलों की जड़ें गहरी होती हैं और इन्हें खत्म करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है। इसके साथ ही, सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों का विश्वास बनाए रखना भी बेहद जरूरी है। जनता की जागरूकता और सख्त कानूनों को लागू करके ही इस तरह की अनियमितताओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

इस प्रकार, मनरेगा घोटाला केवल एक कानूनी मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की नैतिकता और सरकारी तंत्र की स्थिरता का भी प्रश्न है।

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कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

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