Literature: उत्तर प्रदेश में आरयू हिंदी विभाग में विमर्श आयोजित

kapil6294
Nov 04, 2025, 1:00 PM IST

सारांश

रांची में शोध की अभिरूचि पर परिचर्चा का आयोजन रांची के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (डीएसपीएमयू) में हाल ही में शोध की अभिरूचि विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया, जो शोध के महत्व और उसके विकास में योगदान करने के लिए […]

आरयू : स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में साहित्य सृजन पर हुआ विमर्श

रांची में शोध की अभिरूचि पर परिचर्चा का आयोजन

रांची के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (डीएसपीएमयू) में हाल ही में शोध की अभिरूचि विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया, जो शोध के महत्व और उसके विकास में योगदान करने के लिए एकत्रित हुए थे। यह कार्यक्रम एचओडी डॉ एसएम अब्बास की देखरेख में संपन्न हुआ, जिसमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में डॉ. गया पांडेय और डॉ. एस पी शामिल थे।

कार्यक्रम के दौरान, वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, सामाजिक डेटा की उपयोगिता कभी समाप्त नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि शोध केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह रुचि और संवेदनशीलता का परिणाम होता है। इस मौके पर विभाग के कई शोधार्थी, जैसे कि सचिन भगत, विकास पूर्ति, सच्चिदानंद बड़ाइक, अन्ना कुजूर, और आजाद महतो भी उपस्थित थे। इस तरह के आयोजन शोध के प्रति विद्यार्थियों की रुचि बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

रांची विश्वविद्यालय में साहित्य सृजन पर संगोष्ठी

रांची विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में हाल ही में साहित्य सृजन एवं वर्तमान परिदृश्य विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. वासुदेव प्रसाद ने की। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. चक्रधर त्रिपाठी, जो केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के पूर्व कुलपति रह चुके हैं, ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। उन्होंने यह भी बताया कि सृजन तभी सार्थक होता है जब वह मानवता की पीड़ा को स्वर दे।

विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. जंगबहादुर पांडेय ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह संस्कृति और संवेदना की आत्मा है। उन्होंने साहित्य के महत्व और उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। एचओडी डॉ. हीरानंद प्रसाद ने कहा कि इस तरह के विमर्श विद्यार्थियों को साहित्य के जीवंत आयामों से जोड़ने में मदद करते हैं। कार्यक्रम में डॉ. सज्जन सर्राफ, डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. सुनीता कुमारी, डॉ. किरण तिवारी और अन्य शिक्षाविद भी मौजूद थे।

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AYUSH NEET UG 2025 काउंसलिंग प्रक्रिया की शुरुआत

इस बीच, आयुष एडमिशन सेंट्रल काउंसलिंग कमेटी (AACCC) ने AYUSH NEET UG 2025 के स्ट्रे वेकेंसी राउंड-1 (SVR-1) की काउंसलिंग प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। पात्र उम्मीदवार aaccc.gov.in पर जाकर 5 नवंबर 2025 तक रजिस्ट्रेशन और चॉइस फिलिंग कर सकते हैं। इस राउंड का मुख्य उद्देश्य उन सीटों को भरना है जो सभी नियमित काउंसलिंग के बाद भी खाली रह गई हैं।

इस काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों को अपनी पात्रता की जांच करनी होगी और निर्धारित समय सीमा के भीतर आवश्यक दस्तावेज और जानकारी प्रदान करनी होगी। यह अवसर उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो आयुष क्षेत्र में अपने करियर की दिशा निर्धारित करना चाहते हैं।

सामाजिक और शैक्षणिक संदर्भ में ऐसे आयोजनों और काउंसलिंग प्रक्रियाओं का महत्व कभी कम नहीं होता। यह न केवल विद्यार्थियों को उनके भविष्य के लिए सही दिशा में मार्गदर्शन देता है, बल्कि शोध और साहित्य के क्षेत्र में भी नई संभावनाओं का द्वार खोलता है।

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कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

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