कार्तिक पूर्णिमा का पर्व: श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएंगे लोग
भास्कर न्यूज | जामताड़ा / मुरलीपहाड़ी
पवित्र माह कार्तिक का समापन पर्व **कार्तिक पूर्णिमा** इस वर्ष **5 नवंबर** (बुधवार) को पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाएगा। इस दिन तड़के से ही जिलेभर के नदियों, तालाबों और सरोवरों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। इस अवसर पर स्नान, दान, दीपदान और भगवान **विष्णु** की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहेगा। नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत करमदहा स्थित बराकर नदी के तट और बाबा दुखिया मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।
पूर्णिमा तिथि का महत्व और धार्मिक क्रियाकलाप
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, पूर्णिमा की तिथि **4 नवंबर** को प्रारंभ होकर रात **10 बजकर 36 मिनट** तक रहेगी। पूर्णिमा तिथि का समापन **5 नवंबर**, शाम **06 बजकर 48 मिनट** पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, **5 नवंबर** की सुबह से लेकर रात तक स्नान और दान का शुभ समय रहेगा, जिसे पवित्र और पुण्यफलदायी माना गया है। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान के समान पुण्यदायी स्थानीय जलाशयों में स्नान करेंगे और दीपदान के साथ भगवान हरि को अर्पण करेंगे।
महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों में व्रत-उपवास रखकर विष्णु और शिव की आराधना करेंगी। जिले के नारायणपुर, जामताड़ा, कुंडहित, करमाटांड़ समेत विभिन्न नदी घाटों पर धार्मिक उत्सव का माहौल रहेगा। दुखिया बाबा मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और आरती के साथ भक्तिमय वातावरण बना रहेगा। इस दिन का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुत अधिक है, और यह दिन पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।
दीपदान और तुलसी पूजन का महत्व
मान्यता है कि दीपदान और तुलसी पूजन से पापों का नाश होता है। ज्ञात हो कि प्रत्येक पूर्णिमा को नारायणपुर स्थित प्रसिद्ध दुखिया बाबा मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना रहती है। खासकर सावन और कार्तिक पूर्णिमा में तो यहां का नजारा देखने लायक होता है। मंदिर परिसर में सजावट, प्रकाश की समुचित व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंध को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो जाएगा। मंदिर कमिटी भी इस दिन पूरी तरह से तैयार रहेगी। पंडितों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान, दीपदान और तुलसी पूजन मनुष्य के पापों का नाश कर मोक्ष का द्वार खोलता है। यह दिन देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है, जब देवता स्वयं भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक
कार्तिक पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है। इस दिन श्रद्धालु एकत्रित होकर नदियों और तालाबों में स्नान करते हैं, जिससे न केवल धार्मिक आस्था प्रकट होती है, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी जागरूकता बढ़ती है। लोग इस दिन एक-दूसरे के साथ मिलकर दान करते हैं और अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं, जिससे समाज में सकारात्मकता और समर्पण की भावना का संचार होता है।
इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हमें न केवल आस्था और भक्ति की ओर प्रेरित करता है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब हम एकजुट होकर अपने धर्म और संस्कृति को निभाते हैं। इस दिन की विशेषता यह है कि यह न केवल व्यक्तिगत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि सामूहिक रूप से समाज को भी जोड़ता है।



















