कार्तिक पूर्णिमा: धार्मिक उत्सव और विशेष पूजा विधियां
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व इस बुधवार को मनाया जाएगा, जो हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन लोग नदियों और जलाशयों में पवित्र डुबकी लगाकर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन दीपदान और विष्णु पूजा का विशेष महत्व है। इसके साथ ही, देव दिवाली का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें भक्तिभाव से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम सुंदर भारद्वाज के अनुसार, भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों को **आरोग्य जीवन** का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं और भक्तों की भीड़ उमड़ती है। अपर बाजार स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में विशेष रूप से भगवान का शृंगार किया जाएगा। इस अवसर पर नए वस्त्र और चांदी के मुकुट से भगवान का अलंकरण किया जाएगा, जिसमें **1121 दीप** जलाए जाएंगे।
विशेष पूजा विधियां और आयोजन
पूरे मंदिर को दीपों से सजाया जाएगा, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ाएगा। श्री श्याम मित्र मंडल द्वारा हरमू रोड स्थित श्री श्याम मंदिर में भी विशेष आयोजन किया जाएगा। यहाँ शाम **6 बजे** से **101 दीप** प्रज्वलित किए जाएंगे। इस अवसर पर बाबा का विशेष शृंगार किया जाएगा, जो भक्तों के लिए एक भव्य दृश्य होगा।
इस दिन का एक अन्य महत्वपूर्ण आयोजन श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर में होगा, जहाँ देव दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। यहाँ भी भगवान का विशेष शृंगार किया जाएगा और भोग अर्पित किया जाएगा। भक्तों के लिए यह एक अद्भुत अनुभव होगा, जहाँ धार्मिकता और संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा।
भव्य गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम
इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव पर स्वर्णरेखा जीर्णोद्धार समिति रांची द्वारा भव्य गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस आरती का संचालन वाराणसी के ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा, जो इस परंपरा का हिस्सा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवित रखने का काम करता है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर जलाशयों में डुबकी और भगवान विष्णु की पूजा।
- श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में 1121 दीपों का प्रज्वलन।
- श्री श्याम मंदिर में 101 दीप प्रज्वलन का आयोजन।
- श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर में देव दिवाली का उत्सव।
- स्वर्णरेखा समिति द्वारा गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
इस दिन की पूजा विधियों और आयोजनों में भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। ऐसे में, सभी भक्तों से निवेदन है कि वे इस दिन को श्रद्धा और भक्ति से मनाएँ और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
आखिरकार, कार्तिक पूर्णिमा का यह पर्व न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें एकजुट होकर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को समझने का अवसर भी प्रदान करता है।




















