झारखंड में वन, उद्योग और खनन क्षेत्र में वृद्धि
झारखंड राज्य ने पिछले 25 वर्षों में वन, उद्योग और खनन के क्षेत्र में अद्वितीय प्रगति की है। खनन के मामले में झारखंड न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राज्य में वन क्षेत्र की वृद्धि ने भी पर्यावरण संरक्षण के लिए एक सकारात्मक संकेत दिया है। 2011 से 2024 के बीच, राज्य के वन क्षेत्र में **1000 वर्ग किमी** की वृद्धि हुई है, जिससे कुल वन क्षेत्र **29.81 प्रतिशत** तक पहुँच गया है। यह आंकड़ा राज्य की पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले 25 वर्षों में झारखंड में **1200 वर्ग किमी** से अधिक वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। यह न केवल वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए फायदेमंद है, बल्कि क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को भी सहेजने में मदद करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वृद्धि से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम करने में सहायता मिलेगी।
खनन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि
झारखंड के खनन क्षेत्र में भी अद्भुत प्रगति हुई है। वर्ष **2001** में खनन से राज्य की कमाई केवल **700 करोड़ रुपये** थी, जो अब **2025** में बढ़कर **10,800 करोड़ रुपये** होने की उम्मीद है। इस प्रकार, खनन से होने वाली आय में **15 गुना** की वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य सरकार ने कोल्हान क्षेत्र की कई खनिज खदानों की नीलामी की योजना बनाई है, जिससे राज्य को लगभग **5000 करोड़ रुपये** की आय प्राप्त होने की उम्मीद है।
इस नीलामी में लोहा, सोना और अन्य धातुओं की खदानें शामिल हैं। राज्य सरकार खनन क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं को लागू करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। यह न केवल आर्थिक विकास को गति देगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।
उद्योग क्षेत्र में निवेश और रोजगार का सृजन
झारखंड ने औद्योगिक क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त की है। राज्य में पिछले 25 वर्षों में **26 मेगा उद्योग**, **106 बड़े और मध्यम उद्योग**, और **18,109 सूक्ष्म एवं लघु उद्योग** स्थापित किए गए हैं। इन सभी उद्योगों में कुल **28,424.06 करोड़ रुपये** का निवेश हुआ है। इससे लगभग **63,000 लोगों** को रोजगार मिला है।
उद्योग विभाग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश **22,903 करोड़ रुपये** है, जो राज्य की औद्योगिक विकास को दर्शाता है। राज्य सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई नीतियों और योजनाओं का कार्यान्वयन किया है, जिससे राज्य का औद्योगिक परिदृश्य और भी मजबूत हुआ है।
वन क्षेत्र का वितरण और विकास
झारखंड में वन क्षेत्र का वितरण भी विविधताओं से भरा है। लातेहार जिले में सबसे अधिक **55 प्रतिशत** वन क्षेत्र है, जबकि देवघर जिले में केवल **8 प्रतिशत** वन क्षेत्र है। जामताड़ा जिले में वन क्षेत्र का केवल **5.56 प्रतिशत** हिस्सा वन क्षेत्र है, जो राज्य में सबसे कम है।
राज्य के 24 जिलों में से **19 जिलों** में जंगलों में वृद्धि हुई है, जबकि **5 जिलों** चतरा, कोडरमा, पूर्वी सिंहभूम, लातेहार और सिमडेगा में जंगलों की कमी आई है। चतरा में जंगलों में सबसे ज्यादा **15 प्रतिशत** की कमी आई है, फिर भी वहां **47 प्रतिशत** वन क्षेत्र मौजूद है।
निष्कर्ष
समग्र रूप से, झारखंड ने अपने वन, उद्योग और खनन क्षेत्रों में पिछले 25 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह प्रगति न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार के प्रयासों और नीतियों के चलते झारखंड आने वाले वर्षों में और भी विकास की ओर अग्रसर होगा।
झारखंड की यह प्रगति निश्चित रूप से अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणादायक है और यह दर्शाता है कि यदि सही नीतियों और योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाए, तो किसी भी क्षेत्र में विकास संभव है।






















