दिल्ली एनसीआर में छठ पूजा मेले में झूला टूटने से घायल हुए चार लोग
दिल्ली एनसीआर के केंदुआडीह थाना क्षेत्र में स्थित बीएनआर कुस्तौर नदी के किनारे आयोजित छठ पूजा मेले में मंगलवार रात एक झूला टूटने की घटना ने सभी को चौंका दिया। इस हादसे में तीन महिलाएं और एक बच्ची घायल हो गईं। जानकारी के अनुसार, तारामाची झूले का एक बॉक्स अचानक टूट गया, जिससे उसमें सवार लोग करीब 12 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर पड़े। घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।
घटना के समय मेला में भारी भीड़ थी और यह हादसा रात करीब 10:30 बजे हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, झूले के बॉक्स का नट ढीला होने के कारण वह एक तरफ झुक गया था, जिससे संतुलन बिगड़ गया और उसमें बैठे लोग गिर गए। घटना के बाद मौके पर भगदड़ मच गई, जिससे वहां और भी अफरा-तफरी का माहौल बन गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत घायलों को पास के निजी क्लिनिक में ले जाकर प्राथमिक उपचार कराया, और फिर उन्हें बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पताल भेजा गया।
घायलों की पहचान और उनकी स्थिति
घायलों की पहचान बीएनआर निवासी अजय चौहान की पत्नी, संजय चौहान की पत्नी, राजेश चौहान की पुत्री और एक बच्ची रोहिणी के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, भारती कुमारी और काजल कुमारी को सिर में गंभीर चोटें आई हैं। उनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है और उन्हें चिकित्सीय निगरानी में रखा गया है।
घटना की जांच करते पुलिसकर्मी।
पुलिस की कार्रवाई की जानकारी
घटना की सूचना मिलते ही केंदुआडीह थाना प्रभारी प्रमोद पांडेय पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने झूला संचालक से पूछताछ की और झूला चलाने वाले एक युवक को हिरासत में लिया है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है ताकि घटना के कारणों का पता लगाया जा सके।
मेला आयोजन की अनुमति और सुरक्षा संबंधी चिंताएं
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह मेला 30 अक्टूबर से चल रहा था और जिला प्रशासन ने मेले के आयोजन के लिए केवल तीन दिन की अनुमति दी थी। इसके बावजूद, आयोजक और कोलकाता से आए झूला संचालक ने अनुमति समाप्त होने के बाद भी मेले का संचालन जारी रखा। इस मामले में प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल उठने लगे हैं।
यह घटना न केवल घायल हुए लोगों के लिए बल्कि पूरे मेले के लिए चिंता का विषय बन गई है। स्थानीय निवासियों और मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आयोजकों और प्रशासन को सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
आगे की कार्रवाई
पुलिस द्वारा की जा रही जांच में यह पता लगाया जाएगा कि झूले के संचालन में क्या कोई तकनीकी कमियां थीं या फिर सुरक्षा नियमों की अनदेखी की गई थी। इसके अलावा, घायल हुए लोगों की स्थिति पर भी प्रशासन की नजर बनी हुई है, और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।
इस हादसे के बाद, स्थानीय लोग और श्रद्धालु अब मेले में आने के प्रति सतर्क हो गए हैं, और उनके मन में सुरक्षा को लेकर अनेक सवाल उठने लगे हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त बनाए।
इस घटना ने सभी को एक बार फिर यह याद दिलाया है कि सुरक्षा कभी भी समझौते का विषय नहीं होनी चाहिए, खासकर जब बात सार्वजनिक आयोजनों की हो।























