झारखंड में खनन क्षेत्र का विकास: राजस्व में वृद्धि की संभावना
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर के पास चिरिया माइंस क्षेत्र में खनन गतिविधियों में तेजी आ रही है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीदें जग गई हैं। खनन से प्राप्त होने वाली आय लगभग 16 हजार करोड़ रुपए तक पहुँचने की संभावना है, जबकि वर्तमान में यह आय 11 हजार करोड़ रुपए के आसपास है। यदि राज्य सरकार द्वारा 11 लौह अयस्क और 5 सोने की खदानों की सफल नीलामी की जाती है, तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
इस बीच, झारखंड एक्सप्लोरेशन एंड माइनिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जेम्को) को खनिजों की खोज और खनन कार्य का जिम्मा सौंपा गया है। जेम्को लोहा, तांबा, बॉक्साइट और सोने जैसे खनिजों की खोज करेगा। इसके लिए एक नया आर्कजीआईएस सॉफ्टवेयर खरीदा जाएगा, जो भू-वैज्ञानिक मैपिंग, खोज रिपोर्ट और खनन योजनाओं को तैयार करने में मदद करेगा। यह राज्य का एक प्रमुख उपक्रम है और इसके पास खनिजों की खोज और खनन में काफी अनुभव है।
खनिजों की खोज में नई तकनीक का उपयोग
नए सॉफ्टवेयर और तकनीकों के माध्यम से खनिजों की खोज और खनन की प्रक्रिया को और आसान बनाया जाएगा। डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS) जैसी नई तकनीकें लोकेशन का पता लगाने में मदद करेंगी। इससे खनन कार्य की योजना और मैपिंग को बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। हालांकि, झारखंड में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है, लेकिन घने जंगलों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। वर्तमान में राज्य के केवल 3.31 प्रतिशत क्षेत्र में ही घने जंगल मौजूद हैं।
सरकारी कार्यक्रमों में पौधारोपण की पहल
झारखंड सरकार ने सरकारी कार्यक्रमों में महंगे फूलों के गुलदस्ते के बजाय पौधों को देने की परंपरा शुरू की है। इसका उद्देश्य लोगों को पौधारोपण के प्रति जागरूक करना और सरकारी कार्यक्रमों में मिले पौधों को लगाने के लिए प्रेरित करना है। इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में पौधारोपण करने पर प्रति वृक्ष 5 यूनिट मुफ्त बिजली देने का प्रस्ताव है। इस योजना के तहत पेड़ न केवल आवासीय परिसर में, बल्कि शहरी क्षेत्र में खाली पड़े रैयती जमीन पर भी लगाए जा सकते हैं।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक अनुमान
झारखंड में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की उम्मीद जताई गई है। 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय 1,04,511 रुपए थी, जो 2024-25 में बढ़कर 1,14,271 रुपए होने का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह आंकड़ा 1,24,079 रुपए तक पहुँचने की संभावना है। पिछले 25 वर्षों में झारखंड के उद्योगों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 6.7% की दर से वृद्धि का अनुमान है।
वन संरक्षण के प्रति सजगता
झारखंड में वन संरक्षण को लेकर समाज और सरकार दोनों सजग हैं। वर्ष 2001 में राज्य में वन क्षेत्र 23,605 वर्ग किलोमीटर था, जो अब 2023 में बढ़कर 25,118 वर्ग किलोमीटर हो गया है। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 31.51 प्रतिशत है। कुछ जिलों में पुराने वन क्षेत्र में कमी आने के बावजूद नए वन क्षेत्र में वृद्धि के कारण 50% से अधिक वन क्षेत्र देखा जा रहा है।
पन्ना की नीलामी में देरी
पूर्वी सिंहभूम में पन्ना की नीलामी बार-बार टल रही है। पिछले तीन वर्षों से इस नीलामी को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। यदि यह नीलामी सफल होती है, तो झारखंड को इसके माध्यम से काफी राजस्व प्राप्त होगा। खनन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पन्ना की नीलामी जल्द ही शुरू की जाएगी।
इन सभी विकासों के चलते झारखंड में खनन और वन क्षेत्र की गतिविधियों में न केवल वृद्धि हो रही है, बल्कि यह राज्य की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहा है।






















