भोपाल में TIT कॉलेज की हिंदू छात्राओं के साथ हुए बलात्कार और ब्लैकमेलिंग के सनसनीखेज मामले ने मध्य प्रदेश के पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस मामले में पुलिस पर गंभीर लापरवाही और कार्रवाई न करने के आरोप लगे हैं।
पीड़ित छात्रों ने पुलिस को मुख्य आरोपी फरहान, अबरार और नबील के बारे में बताया, जो कि एक संगठित गिरोह के अन्य छह मुस्लिम छात्रों के साथ मिलकर काम कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने इन संदिग्धों से पूछताछ तक नहीं की।
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने संगठित अपराध की धारा जोड़ने की सिफारिश की है, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता के कारण मामला ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। पुलिस इस पर कुछ भी बोलने से बच रही है।
छात्राएं बताती हैं कि कॉलेज में कई मुस्लिम युवक जानबूझकर हिंदू छात्रों को प्यार के जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने छह से ज्यादा मुस्लिम छात्रों को इस गिरोह में शामिल होने का संदेह जताया। पुलिस ने पीड़ितों की बातों के आधार पर कॉलेज में पहुंचकर जांच शुरू की, लेकिन संदिग्धों से कोई पूछताछ नहीं की गई। जब इस बारे में जोन वन की डीसीपी प्रियंका शुक्ला से पूछा गया, तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
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पुलिस ने मुख्य आरोपी फरहान के कुछ दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन उन्हें संलिप्त नहीं पाया गया और उन्हें छोड़ दिया गया। पीड़ितों का कहना है कि अन्य गिरोह के सदस्य अभी भी सक्रिय हैं, लेकिन पुलिस ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
अब तक की कार्रवाई:
– 11 अप्रैल: एक छात्रा ने बलात्कार और हमले की शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और फरहान को जेल भेजा।
– 12 अप्रैल: पीड़िता ने पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने फरहान और साहिल के खिलाफ बलात्कार और धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
– बाद में तीन अन्य महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई, जिसमें फरहान, साहिल, अली, साद, नबील और अबरार पर आरोप लगाए गए।
– 24 अप्रैल: समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद पुलिस ने विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।
– 28 अप्रैल: फरहान को पुलिस हिरासत से भागने के प्रयास में पैर में गोली लगी।
– वर्तमान स्थिति: पांच आरोपियों को जेल भेजा गया है, लेकिन छह अन्य संदिग्धों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पुलिस दिशानिर्देश तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक में इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं। इसमें विशेष निगरानी और स्कूलों, डांस क्लासेस, और कंप्यूटर सेंटरों जैसे संवेदनशील स्थानों पर घटनाओं को रोकने के उपाय शामिल होंगे।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले को संगठित अपराध मानते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता से पीड़ितों और उनके परिवारों में गुस्सा है। कॉलेज प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि मुख्य आरोपी फरहान का आपराधिक रिकॉर्ड होने के बावजूद उसे छात्रवृत्ति दी जा रही थी। इस मामले में पुलिस और कॉलेज प्रशासन से जवाबदेही की मांग बढ़ रही है।