सुकमा जिले में 6 वर्षीय बच्ची की मौत, परिजनों ने अस्पताल स्टाफ पर लगाया आरोप
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के चिंतलनार में एक 6 वर्षीय बच्ची, वैदिका देवदास, की इलाज के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस घटना ने न केवल परिवार को बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है। परिजनों ने डॉक्टरों और अस्पताल के स्टाफ पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए बीएमओ कोन्टा से शिकायत की है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। वैदिका की मौत उस दिन हुई जब उसका जन्मदिन था, जिससे शोक की लहर और भी गहरी हो गई है।
परिवार का दर्द और अस्पताल की लापरवाही
तेलगापारा के निवासी हरमेन्द्र देवदास ने बताया कि उनकी बेटी पिछले कुछ दिनों से बीमार थी। उन्होंने चिंतलनार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी, डॉ. युवराज साहू, से इलाज करवाया था। सोमवार शाम करीब 7:30 बजे वैदिका की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिवार ने तुरंत उसे अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अस्पताल का दरवाजा बंद मिला। परिजनों ने बताया कि लगभग आधे घंटे तक अस्पताल में कोई भी स्टाफ मौजूद नहीं था, जिससे उनकी चिंताएं और बढ़ गईं।
करीब 8 बजे जब डॉ. साहू अस्पताल पहुंचे, तो उन्होंने तुरंत इलाज शुरू किया। डॉक्टर ने बच्ची को दो इंजेक्शन दिए, लेकिन थोड़ी देर बाद वैदिका को खून की उल्टियां होने लगीं। इसके बाद डॉक्टर ने एक और इंजेक्शन दिया, लेकिन इस सब के बावजूद बच्ची की स्थिति और बिगड़ गई और उसने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। परिजनों का कहना है कि इलाज के दौरान न तो कोई नर्स थी और न ही कोई सहायक स्टाफ, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समय पर उचित इलाज नहीं मिला।
गांव में शोक और स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
इस घटना से पूरे तेलगापारा गांव में शोक का माहौल है। वैदिका के जन्मदिन पर इस तरह की घटना ने हर किसी को अचंभित कर दिया है। चिंतलनार के उप सरपंच श्रीनु ने इस मामले को स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर विफलता बताया है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया और आगामी कार्रवाई
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपेश चंद्राकर ने कहा कि परिजनों की शिकायत प्राप्त हो चुकी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने एक जांच टीम गठित कर दी है। डॉ. चंद्राकर ने आश्वासन दिया है कि रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला केवल वैदिका की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है।
स्वास्थ्य सेवा में सुधार की आवश्यकता
इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता को उजागर किया है। समय पर इलाज न मिलने के कारण वैदिका की जान गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग को अधिक सक्रिय और जागरूक रहने की आवश्यकता है। परिजनों की मांग है कि स्वास्थ्य सेवा में सुधार किया जाए ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह के दर्द का सामना न करना पड़े।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि एक मजबूत और जिम्मेदार स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है, जो न केवल मरीजों की देखभाल करे, बल्कि उनके परिवारों को भी भरोसा दिलाए। सभी की नजरें अब जांच रिपोर्ट पर हैं, जो यह तय करेगी कि क्या स्वास्थ्य विभाग इस मामले में उचित कार्रवाई करेगा या नहीं।























