छत्तीसगढ़: अरपा नदी में छात्रा ने आत्महत्या की
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक दुःखद घटना सामने आई है, जहां एक नवमीं कक्षा की छात्रा ने रात के समय अरपा नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। यह घटना रात करीब 1.30 बजे की है, जब छात्रा ने अपने घर से भागते हुए छठघाट की ओर दौड़ लगाई और वहां पहुंचकर नदी में छलांग लगा दी। इस घटनाक्रम में उसके परिजन भी उसे रोकने के लिए वहां पहुंचे, लेकिन दुर्भाग्यवश वह अपनी जान नहीं बचा सके।
छात्रा का नाम और पारिवारिक स्थिति
मृतक छात्रा का नाम अदिति कठौते (14 वर्ष) था, जो राजकिशोर नगर स्थित ब्रम्हकुमारी आश्रम के पीछे रहती थी। उसके पिता अरुण कठौते एक प्राइवेट नौकरी करते हैं। अदिति नवमीं कक्षा की छात्रा थी और रात में अपने मोबाइल पर कुछ देख रही थी, जिसे उसकी बड़ी बहन चेतना कठौते ने मना किया। चेतना ने उसे कहा कि वह देर रात तक मोबाइल में क्यों देख रही है और अब सोने का समय है।
गुस्से में घर से भागी छात्रा
छात्रा के गुस्से में आकर घर से बाहर निकलने के बाद, चेतना ने तुरंत अपने पिता को इस बारे में सूचित किया। इसके बाद दोनों ने अदिति का पीछा करना शुरू किया। अदिति को रोकने के लिए चेतना और उसके पिता ने लगातार आवाजें लगाईं, लेकिन वह रुकने के बजाय सीधे अरपा नदी की ओर दौड़ गई। वहां पहुंचकर उसने नदी में कूदने का निर्णय लिया।
दुःखद दृश्य: पिता और बहन की helplessness
जैसे ही अदिति ने नदी में छलांग लगाई, उसकी बड़ी बहन चेतना और पिता अरुण कठौते हैरान रह गए। उन्होंने शोर मचाकर मदद मांगने की कोशिश की। इस दौरान, वहां कुछ स्थानीय लोग भी इकट्ठा हो गए। दो युवक भी नदी में कूदकर अदिति को बचाने का प्रयास करने लगे, लेकिन गहराई के कारण वे ज्यादा दूर नहीं जा सके। इस घटना की सूचना तत्काल सरकंडा पुलिस को दी गई, लेकिन रात का समय होने के कारण रेस्क्यू में कठिनाई आई।
सुबह का रेस्क्यू ऑपरेशन
मंगलवार की सुबह, पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए स्थानीय गोताखोरों की भी मदद ली गई। करीब दो घंटे की खोजबीन के बाद अदिति का शव नदी से बाहर निकाला गया। शव को निकालने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार किया और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस इस मामले में मर्ग कायम कर आगे की जांच कर रही है।
समाज में मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा
इस घटना ने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को एक बार फिर से उजागर किया है। युवा पीढ़ी में तनाव और मानसिक दबाव बढ़ता जा रहा है, जो कई बार आत्महत्या का कारण बनता है। परिवारों को अपने बच्चों के साथ संवाद बढ़ाने और उनकी समस्याओं को समझने की आवश्यकता है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि हमें बच्चों की भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है।
निष्कर्ष
बिलासपुर में हुई यह घटना न केवल एक परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। हमें इस तरह की घटनाओं से सीख लेकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। परिवारों को अपने बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए और उन्हें समस्याओं के समाधान में मदद करनी चाहिए। यह घटना एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है कि हमें एक दूसरे की भावनाओं को समझने और सहयोग करने की आवश्यकता है।





















