बीजापुर में तालाब में डूबने से तीन बच्चों की दर्दनाक मौत
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के ग्राम हिरोलीपारा में एक दुखद घटना घटी है, जिसमें तालाब में डूबने से तीन बच्चों की जान चली गई। यह घटना 21 अक्टूबर की दोपहर को हुई, जब तीनों बच्चों के शव तालाब में तैरते हुए मिले। मृतकों में दो लड़के और एक लड़की शामिल हैं, जिनकी उम्र 3 से 5 साल के बीच है। यह घटना गंगालूर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जिसने पूरे गांव में मातम फैला दिया है।
बच्चों की खेलते-खेलते तालाब में गिरने की घटना
जानकारी के अनुसार, तीनों बच्चे तालाब के पास खेलने गए थे और वहां फूल निकालने के लिए तालाब में उतरे थे। लेकिन गहरे पानी के कारण वे वापस बाहर नहीं आ सके। इस घटना के 24 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है और शवों का पोस्टमॉर्टम चल रहा है। पोस्टमॉर्टम के बाद ही गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
घटना के बाद शवों को घर लाया गया, जहां आदिवासी परंपरा के अनुसार उनके माथे पर सिक्के लगाए गए थे। यह एक सांस्कृतिक प्रथा है, जिसका उद्देश्य बच्चों की आत्मा को शांति प्रदान करना होता है।
पिता की दास्तान: गाय चराने गए थे और शव तैरता मिला
मृतकों में से नवीन हपका (उम्र 3) और मनीता हपका (उम्र 5) एक ही परिवार के बच्चे थे। उनके पिता मोटू हपका ने बताया कि घटना के समय वे गाय चराने गए थे। घर लौटने पर जब उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा तो उन्होंने बताया कि बच्चे आसपास ही होंगे। जब उन्होंने तालाब की ओर देखा, तो वहां बच्चों के कपड़े तैरते हुए दिखाई दिए।
मोटू हपका ने बताया, “मैंने सबसे पहले एक शव देखा और फिर मोहल्ले के लोगों को बुलाया। जब हमने तालाब में देखा, तो तीनों बच्चों के शव मिले। तालाब में फूल वगैरह थे, इसलिए बच्चे खेलते-खेलते पानी में चले गए और गहराई के कारण बाहर नहीं निकल पाए।”
तालाब में पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं
मृतक बच्चों में से एक, दिनेश कोरसा (उम्र 3) के पिता लच्छू कोरसा ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बच्चे खेलते-खेलते गहरे पानी में चले गए। यह तालाब पहले भी कई बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो चुका है, क्योंकि यहां पहले भी मौतें हो चुकी हैं।
जानकारी के अनुसार, मनीता हपका स्कूल जाती थी, जबकि अन्य दोनों बच्चे आंगनबाड़ी में पढ़ते थे। यह घटना दिवाली के दूसरे दिन हुई, जब सभी परिवार वाले मिलकर त्योहार मना रहे थे। आस-पड़ोस के सभी बच्चे एक-दूसरे के साथ खेलते थे, लेकिन अब इस हादसे ने सभी को गहरे सदमे में डाल दिया है।
मुआवजे की मांग: स्थानीय नेताओं का समर्थन
बीजापुर जिला अस्पताल में शवों का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है और इसके बाद शवों को परिवार वालों को सौंपा जाएगा। इस बीच, क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य नीना रावतिया भी अस्पताल पहुंची हैं। उन्होंने सरकार से मृतक बच्चों के परिवार को मुआवजा देने की मांग की है। नीना रावतिया ने कहा, “हम परिजनों के साथ कलेक्टर से मिलकर उचित मुआवजे की मांग करेंगे।”
यह घटना न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक बड़ी क्षति है। गांव के लोग इस घटना से गहरे दुखी हैं और उनके मन में कई सवाल उठ रहे हैं। बच्चों की मौत ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
निष्कर्ष: बच्चों की सुरक्षा की आवश्यकता
यह दुखद घटना हमें यह याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। तालाबों और अन्य जल स्रोतों के पास खेलने से बच्चों को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे खतरनाक स्थानों को सुरक्षित करने के लिए ठोस उपाय करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इस घटना के बाद गांव में शोक का माहौल है और सभी लोग मृतक बच्चों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।























