बिलासपुर के सरकारी स्कूल में शिक्षकों की लापरवाही से प्रभावित हो रही पढ़ाई
बिलासपुर जिले के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में दो शिक्षकों की लापरवाही और कामचोरी के कारण बच्चों की पढ़ाई गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। शिक्षकों दिलीप तिग्गा और सुभद्रा साहू पर आरोप है कि वे पढ़ाई करने के बजाय अधिकतर समय मोबाइल पर नेटवर्क मार्केटिंग के काम में लगे रहते हैं। इस मामले ने शिक्षा के प्रति गंभीरता को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है।
शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं
यह मामला मस्तूरी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बेलटुकरी स्थित प्राइमरी स्कूल का है। शिकायत के अनुसार, दोनों शिक्षकों को कई बार पालकों और अन्य कर्मचारियों द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पास शिकायत की गई है, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों का मानना है कि प्रधान पाठक गणेशराम मिरी की संरक्षण के कारण इन शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है, जो सरकारी नियमों का खुला उल्लंघन है।
शिक्षकों का गैरमौजूद रहना और नेटवर्क मार्केटिंग
पालकों ने यह भी बताया कि ये शिक्षक नियमित रूप से स्कूल के समय में अपने निजी कार्यों के लिए गैरमौजूद रहते हैं। आए दिन नेटवर्क मार्केटिंग से संबंधित सेमिनारों में भाग लेते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई और विकास रुक जाता है। इस प्रकार की लापरवाही से बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
प्रधान पाठक की लापरवाही का मामला
गणेशराम मिरी, जो कि प्रधान पाठक हैं, पर भी आरोप है कि वे दोनों शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज कर उनके वेतन का भुगतान कर रहे हैं, जबकि वे स्कूल में उपस्थित नहीं रहते। यह स्थिति ग्रामीणों और पालकों में आक्रोश का कारण बन रही है। उल्लेखनीय है कि गणेशराम मिरी पहले भी लापरवाही के कारण निलंबित हो चुके हैं, लेकिन उन्हें फिर से उसी संकुल केंद्र में बहाल कर दिया गया है।
प्राचार्य का गोलमोल जवाब
जब मामले पर प्राचार्य गणेशराम मिरी से बात की गई, तो उन्होंने किसी भी प्रकार की जानकारी न होने की बात कहकर गोलमोल जवाब दिया। इस पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी शिवराम टंडन ने बताया कि स्कूल का निरीक्षण किया जाएगा और जिम्मेदारों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने उच्च अधिकारियों से भी चर्चा करने की बात कही है।
शिक्षक का मोबाइल इस्तेमाल पर बचाव
वहीं, शिक्षक दिलीप तिग्गा ने मोबाइल के इस्तेमाल को सही ठहराते हुए कहा कि वे “गूगल से जानकारी लेकर बच्चों को पढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।” इसके जरिए उन्होंने अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश की है, जो कि शिक्षण के क्षेत्र में एक गंभीर समस्या है।
समुदाय की चिंताएं और भविष्य की दिशा
समुदाय के लोग अब इस मामले में कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। बच्चों की शिक्षा का भविष्य दांव पर है और पालकों का मानना है कि यदि इस लापरवाही को नजरअंदाज किया गया, तो इससे बच्चों का भविष्य और भी अंधकारमय हो जाएगा। शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
बिलासपुर के इस सरकारी प्राइमरी स्कूल का मामला यह दर्शाता है कि हमारे शिक्षा तंत्र में सुधार की कितनी आवश्यकता है। शिक्षकों की जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें बच्चों के भविष्य के प्रति भी गंभीर होना चाहिए। इस मामले में उचित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो और उन्हें एक उज्जवल भविष्य मिल सके।























